उत्तराखंड में 2013 की केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) के दौरान लापता लोगों का पता लगाने के लिए क्षेत्र में चलाए गए खोजबीन अभियान के दौरान चार नर—कंकाल मिले हैं. 2013 में 16 जून की रात्रि और 17 जून की सुबह केदारनाथ क्षेत्र में आयी भीषण आपदा व जलप्रलय में बहुत लोग लापता हो गये थे. लापता लोगों की उसी समय और उसके बाद भी समय—समय पर खोज की जाती रही है.
आपदा के दौरान लापता लोगों के कंकाल या अस्थि अवशेषों की खोजबीन के लिए इस वर्ष भी रूद्रप्रयाग जिले में 10 टीमों का गठन किया गया जिन्होंने अलग-अलग मार्गों (ट्रैकों) पर जाकर 16 सितंबर से 20 सितंबर तक सघन अभियान चलाया.
और पढ़ें: Exclusive: जिस झील को बताया जा रहा है तबाही का कारण, उसकी असली सच्चाई ये है
इस अभियान के पर्यवेक्षक एवं रूद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने बताया कि केदारनाथ से गरुड़चट्टी होते हुए गोमुखड़ा, तोषी, त्रिजुगीनारायण से सोनप्रयाग की ओर गई टीम को गोमुखड़ा से नीचे गौरी माई खर्क के आसपास के क्षेत्र में खोजबीन के दौरान रविवार को चार कंकाल या अस्थि-अवशेष मिले. उन्होंने बताया कि नर कंकालों को उपलब्ध कराए गए बॉडी बैग में रखते हुए सोनप्रयाग लाया गया जहां विधिवत पंचायतनामा भरे जाने तथा डीएनए नमूने लेने कार्यवाही की गयी.
उन्होंने बताया कि इसके बाद मंदाकिनी व सोन नदी के संगम पर सभी नर—कंकालों या अस्थि-अवशेषों का नियमानुसार अंतिम संस्कार कर दिया गया. उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर चलाए गये इस खोज अभियान को समाप्त कर दिया गया है.
पुलिस उपनिरीक्षक की अगुवाई में अभियान पर रवाना हुई प्रत्येक टीम में छह सदस्य थे जिनमें से दो—दो पुलिस और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के कर्मी तथा डीएनए नमूना लेने के लिए एक फार्मासिस्ट शामिल था. इसके साथ ही क्षेत्र में अब तक चलाए गये विभिन्न खोज अभियानों में 703 लोगों के अवशेष मिल चुके हैं जबकि 3183 व्यक्ति अभी भी लापता हैं.
Source : Bhasha