उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. इसे लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियां में जुट गई हैं. इस बार किसका उत्तराखंड? विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड के युवाओं को नेताओं से क्या उम्मीदें हैं. पहाड़ को नई उच्चाई में पहुंचाने का प्रण. न्यूज स्टेट के सम्मेलन 'युवा उत्तराखंड, युवा उम्मीद' में उत्तराखंड के कई दिग्गज नेताओं ने जनता के सवालों का जवाब दिया. इस कॉन्क्लेव में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, AAP के उत्तराखंड CM उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल, BJP विधायक मुन्ना सिंह चौहान, कांग्रेस विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन, AAP के उत्तराखंड प्रभारी दिनेश मोहनिया समेत कई दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया. इसके साथ ही उत्तराखंड के पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया. इस क्रम में वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा, सुनील दत्त पाण्डेय और भागीरथ शर्मा ने उत्तराखंड की समस्याओं पर चर्चा की.
उत्तराखंड के जाने-माने पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड में एक तीसरे विकल्प की जरूरत है. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में किए ज्यादातर वादे पूरे किए हैं. दिल्ली सिर्फ 40 किमी में सिमटी है. आम आदमी पार्टी फिलहाल एक उम्मीद जताती है. यहां एक तीसरी शक्ति ऐसी होनी चाहिए, जो नियंत्रण कर सके.
वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पाण्डेय ने कहा कि आम आदमी पार्टी को बहुत सुनियोजित तरीके से उत्तराखंड में लाया गया है. कर्नल अजय कोठियाल के आने से बीजेपी को नुकसान हो रहा है. उत्तराखंड का आम आदमी और युवा के बारे में कोई नहीं सोच रहा है. गैरसैंण को लेकर राजनीति हो रही है.
राजीव नयन बहुगुणा ने कहा कि जब राज्य गठन की प्रक्रिया शुरू हुई थी तब मुलायम सिंह यादव सीएम थे. गैरसैंण आज राजनीतिक मुद्दा हो गया है.
वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने कहा कि पहाड़ों में सरकारी स्कूल, बिजली और पानी बढ़ाने की जरूरत है. स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी और बिजली की बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए. राज्य के गठन के बाद ये लगा था कि पलायन रुकेगा, लेकिन पलायन बढ़ा है.
सुनील दत्त पाण्डेय ने कहा कि राज्य में पिछले 21 साल में भ्रष्टाचार बढ़ा है. राजनीतिक पार्टियां सिर्फ युवा को ही मुहरा बना रही हैं. इंडस्ट्री का हब हरिद्वार और उधमसिंह नगर बन रहा है. सरकारें सिर्फ युवाओं को मिस्यूज कर रही हैं. भ्रष्टाचार की ओर ये राज्य अग्रसर हो रहा है. जब उत्तराखंड राज्य बना था तब पार्टियामेंट में एक प्रस्ताव पास हुआ था. अभी उत्तराखंड में सिर्फ 5 लोकसभा सीटें हैं, जिससे हमें अहमियत नहीं मिलती है. जब हम यूपी से जुड़े थे तब सबसे लोकसभा सीटों वाला राज्य था, तब ज्यादा अहमियत थी.
वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमारा पैसा खर्च हुआ है या सिर्फ कागजों पर हुआ है. उत्तराखंड में कृषि भूमि कम हो रही है और इस भूमि पर कंक्रीट के महल खड़े हो रहे हैं. सिंचाई और लघु सिंचाई को बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये सलाना खर्च हो रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा ने कहा कि अभी दो राष्ट्रीय दल जो सत्ता में रहे हैं उन्होंने आजतक यहां की मूल सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया है.
वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड का पानी, यहां की जवानी काम नहीं आता है. यहां के युवा अपने रोजगार के लिए पलायन करने के लिए मजबूर हैं. क्षेत्रीय दल उत्तराखंड में न पनपना मैं एक विडंबना मानता हूं. क्षेत्रीय दलों का तंत्र बहुत बड़ा नहीं होता है. नए राज्यों के लिए क्षेत्रीय दलों की बहुत जरूरत है. क्षेत्रीय दलों ने बड़ी पार्टियों की कार्बन कॉपी बनने का प्रयास किया है, इसलिए क्षेत्रीय दल विलुप्त के कगार पर है.
भागीरथ शर्मा ने कहा कि कभी सपना दिखाया गया कि हम इस प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश तो कभी हर्बल प्रदेश बना देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. उत्तराखंड में 40 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता है. इन क्षेत्रों में कुछ-कुछ काम हुआ है. 2001 में प्रथम विधानसभा चुनाव हुआ और नरायण दत तिवारी सीएम बने. 2007 से 2012 के बीच नैनो ने अपना प्लांट उत्तराखंड में स्थापित करने की इच्छा जताई थी, लेकिन नैनो का प्लांट नहीं लग पाया.
Source : News Nation Bureau