Sanskrit Classes In Uttarakhand Madrasas: उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड जल्द ही मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की तैयारी कर रही है. इसकी जानकारी खुद बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने दी है. कासमी ने बताया कि जल्द ही राज्य संस्कृत शिक्षा विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन होने जा रहा है. पहले तो आधुनिक मदरसों में संस्कृत पढ़ाया जाएगा.
मदरसों में अब पढ़ाया जाएगा संस्कृत
बता दें कि 6 साल पहले मदरसा वेलफेयर सोसाइटी ने उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की मांग उठाई थी. उस समय प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत थे. उस समय तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने मदरसों में संस्कृत पढ़ाने से इनकार करते हुए कहा था कि यह अव्यावहारिक है. जिसके बाद एक बार फिर से सोसाइटी ने सीएम धामी के सामने यह मांग रखी है. उनका कहना है कि देवभूमि में संस्कृत नहीं पढ़ाई जाएगी तो कहां पढ़ाई जाएगी. मुफ्ती शमून कासमी ने दो प्राचीन भाषा संस्कृत और अरबी दोनों के महत्व को बताया.
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2017 में उठी थी मांग
उन्होंने कहा कि एक मौलवी संस्कृत जानता है और एक पंडित अरबी, तो इससे अच्छा और क्या ही होगा? कासमी ने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि एनसीईआरटी पाठ्यक्रम बोर्ड के साथ पंजीकृत 416 मदरसों में लागू किया गया है. बता दें कि मदरसा छात्रों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए बोर्ड लगातार इन्हें आधुनिक बना रही है. इसके लिए कई प्रयास भी किए जा रहे हैं.
मदरसों को मार्डन बनाने की तैयारी में वक्फ बोर्ड
साथ ही कासमी ने कहा कि नदी के किनारे रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग गंगा नदी की स्वच्छता बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए जागरूक भी हो रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में उत्तराखंड के 207 मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की मांग उठी थी. राज्य वक्फ बोर्ड का एक ही उद्देश्य है कि वह रजिस्टर्ड मदरसों को मॉर्डन बना सके और बच्चों के भविष्य को नई दिशा मिल सके. बच्चों को मदरसों में स्मार्ट क्लासेस के साथ ही टेक्निकल नॉलेज भी दिए जा रहे हैं.