जैसे-जैसे पहाड़ों में तापमान कम हो रहा है, वैसे-वैसे चुनावी तापमान बढ़ने लगा है. उत्तराखंड जैसे छोटे पहाड़ी राज्य में जहां अभी भाजापा काबिज है, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस भी लगातार अपनी उपस्तिथि दर्ज करने का प्रयास कर रही है. इन्हीं सबके बीच जब भी पीएम मोदी की एंट्री उत्तराखंड में होती है, तो यहां के लोगों के लिए चुनावी रण चुनावी फैक्टर से ऊपर उठ जाता है. उत्तराखंड से पीएम का खासा नाता भी रहा है. वह यहां चुनावी सरगर्मियों के अलावा भी समय-समय पर बाबा केदार के दर्शन के लिए आ चुके हैं. शानिवार यानी 4 दिसंबर को होने वाली रैली के लिए मंच सज चुका है, तो राज्य सरकार मोदी नाम को पूरी तरह से भुना अपनी नैया पार लगाना चाहती है, क्योंकि वो जानती है कि उत्तराखंड की जनता का मोदी क्रेज अभी भी पूरे चरम पर है. इसी के चलते कांग्रेस भी सीधे मोदी पर हमलावर न हो कर राज्य सरकार पर हमलावर है.
पहाड़ी राज्य में लगातार दो बार सत्ता में नहीं आया कोई
सैनिक बाहुल्य उत्तराखंड में मोदी की छवि देश के रक्षक की है, जिसे फिलहाल विपक्ष के लिए तोड़ना मुश्किल ही है. पिछले चुनावों में कांग्रेस की बगावत और मोदी का जादू ही था कि बिना किसी चेहरे के 70 में से 57 सीटें भाजापा ने हासिल कर ली थीं. अब तक का चुनावी इतिहास बताता है कि इस पहाड़ी राज्य में कोई भी पार्टी लगातार दो बार सत्ता में काबिज नहीं हो पाई है. युवा मुख्यमंत्री धामी के लिए दोबारा सरकार में आना बड़ी चुनौती है, जिसका तोड़ पार्टी ने मोदी की उत्तराखंड में तीन महीने में तीन बड़ी यात्रा के रूप में निकाला है.
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उत्तराखंड के युवाओं के लिए आदर्श हैं मोदी
उत्तराखंड से सांसद और केंद्र में मंत्री अजय भट्ट मोदी और उत्तराखंड के संबंधों पर कहते हैं, 'उत्तराखंड के युवा मोदी को अपना आदर्श और बुजुर्ग अपना बेटा मानते हैं. मोदी का यहां के लोगों के प्रति बहुत प्रेम है. यहां के लोग पीएम मोदी को अपने बीच का ही मानते हैं, वो जब भी यहां आये लोगों ने उनको सर आंखों पर बैठाया है. पीएम मोदी का सैनिकों के प्रति जो सम्मान है वो यहां के लोग बहुत पसन्द करते हैं, क्योंकि हम सैनिकों की भूमि से हैं. मोदी जी को यहां का हर वर्ग दिल से चाहता है. हमें खुशी है कि देश के प्रधानमंत्री हमारे छोटे राज्य को इतना महत्व देते हैं.'
कार्यकर्ताओं में जोश भरते हैं पीएम मोदी
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में सांसद तीरथ सिंह रावत कहते हैं, 'लोगों में उनके प्रति आस्था है विश्वास है. कार्यकर्ता में जोश और जनता में उत्साह है. लोग उनका हमेशा यहां इंतजार करते हैं, उनको देखना और सुनना चाहते हैं. उन्होंने छोटे राज्य को भी इतना महत्व दिया जिसके लिए हम सभी उनका धन्यवाद दिल से करते हैं. उन्होंने यहां के चहुंमुखी विकास पर शुरू से ही पूरा ध्यान दिया है. उनका उत्तराखंड में इतनी बार आना, यहां के लिए असीम प्रेम दिखता है. शायद ही कोई और प्रधानमंत्री यहां इतनी बार आया हो. हमारी जीत पक्की है.' उत्तराखंड में भले ही भाजपा ने इन पांच सालों में तीन मुख्यमंत्री बदले हैं, पर इस मुद्दे को विपक्ष पूरी तरह नहीं भुना पा रहा है.
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20 साल के युवा प्रदेश को 11 सीएम मिले
उत्तराखंड से विधायक और महिला मोर्चा की प्रमुख ऋतु भूषण खण्डूरी कहती हैं, 'विपक्ष पूरी तरह नाकाम है. कांग्रेस के सत्ता पर रहते यहां का विकास पूरी तरह रुका हुआ था, जो इन सालों में चरम पर है और जिस तरह मोदी जी के सौजन्य से राज्य में एक लाख करोड़ की योजनायें लागू की गई हैं वो हमारे सामने हैं. चाहे चारधाम सड़क योजना की बात करें या रेल लेन की बात हो या फिर प्रधानमंत्री सड़क योजना की बात हो दिल खोलकर विकास हुआ है जो राज्य के लिए एतिहासिक है. यहां की महिलाएं पीएम मोदी की बड़ी प्रशंसक हैं. उनके आने से यहां हमेशा नई ऊर्जा का संचार होता है, उनको भाई और बेटे का दर्जा यहां की महिलाओं ने दिया है. आप सोच सकते हैं कि ऐसे में विपक्ष का क्या हाल होगा.' 20 साल के इस युवा प्रदेश को अब तक 11 मुख्यमंत्री मिले हैं और नए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को अभी आये कुछ ही महीने हुए हैं, जिसके चलते सारा चुनाव मोदी भरोसे हो गया है.
HIGHLIGHTS
- 20 सालों के युवा प्रदेश को मिले 11 मुख्यमंत्री
- बीते पांच साल में बदल गए तीन सीएम
- विधानसभा चुनाव हुआ पीएम मोदी भरोसे