रेखा आर्य एक भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्तराखंड माता और महिला एवं बाल कल्याण, उत्तराखंड सरकार की वर्तमान कैबिनेट मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं. रेखा आर्या तब सुर्ख़ियों में आईं थी जब वो एक अनोखे अंदाज में उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल शपथ ग्रहण समारोह में पहुंची थीं. वह शपथ ग्रहण करने के लिए पारंपरिक पिछौड़ा और नथुली पहनकर पहुंची थीं. जैसे ही उन्होंने शपथ ग्रहण करने के लिए माइक संभाला तो जमकर नारे लगने लगे थे. रेखा आर्य ने लाल रंग का पिछौड़ा पहन रखा था. इसे पहाड़ में हर मांगलिक आयोजन पर पहनते हैं.
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मांग-टीका रेखा आर्य के ठेठ पहाड़ी अंदाज को दर्शा रहा था. रेखा आर्य ने मोटी सी नथुली भी पहनी थी. अब यदा-कदा ही दिखाई देने वाला गलोबंद भी रेखा ने पहन रखा था. सोमेश्वर विधायक ने गले में हंसुली भी पहन रखी थी. शपथ ग्रहण के दौरान रेखा के लंबे झुमके भी आकर्षण का केंद्र थे. बता दें कि, राजभवन में आयोजित समारोह में 11 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी.
किसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सबसे पहले एक लक्ष्य को निर्धारित करना पड़ता है. जब भी कोई लक्ष्य के साथ अपनी मेहनत को जोड़ता है तो उसको सफलता का प्रसाद मिलता है. आज हम आपको ये बातें इसलिए बता रहें हैं कि उत्तराखंड की एक साधारण घर की महिला ऐसी मिशाल बनीं कि लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं. हम बात कर रहें हैं सूबे के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य की. उन्होने अपने जीवन में संघर्ष कर वो मुकाम हांसिल किया जिसकी सब कल्पना करते हैं. महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य के संघर्ष पर नजर डालें तो एक समय यह भी था कि उनके घर में पीने का पानी तक नहीं था. लेकिन मैजूदा वक्त में वो सूबे की मंत्री पद संभाल रही हैं, उनके इस संघर्ष से लोगो को सीख लेनी चाहिए.
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रेखा आर्य 5 दिसंबर 1978 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्मीं थी, जब ये 10 साल की हुई तो घर वालों का प्यास बुझाने के लिए अपनी मां के साथ कोसों दूर से पानी लाती थीं. एक पहाड़ी परिवार में जन्म लेने वाले लोग ही जानते हैं कि संसाधनों की कमीं होने के बाद भी कैसे जीवन जिया जाता है. मंत्री रेखा आर्य संघर्ष से कभी पीछे नहीं हटी. परिवार में आर्थिक संकट होने के बाद भी पढ़ाई करती रहीं. रेखा आर्य ने जब एम कॉम की पढ़ाई पूरी की तो उनके मन में शिक्षिका बनने का सपना जागा. शिक्षिका बनने के लिए रेखा ने बीएड किया. लेकिन कहते हैं न जब आप संघर्ष करते हैं, तो जितना आप सोचते हैं, उससे ज्यादा फल मिलता है. इनके साथ भी यही हुआ. रेखा की किस्मत उनको राजनीति की मुख्य धारा में लेकर आ गई.
रेखा आर्य ने अपनी राजनीति जिला स्तर की राजनीति शुरु की. इन्होने अल्मोड़ा में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में इनकी विजय हुई. जिला अध्यक्ष बनने के बाद रेखा लोगो के बीच काफी लोकप्रिय हो गई थी. उन्होने अपने कार्य़काल के दौरान जिले में काफी विकास किया. साल 2012 के विधान सभा चुनाव में रेखा को कांग्रेस पार्टी ने इनका टिकट काट दिया. जिसके बाद रेखा ने सोमेश्वर से निर्दलीय चुनाव लड़ा. ये चुनाव रेखा हार गईं. हार के बाद भी रेखा का हौसला नहीं. टूटा यही कारण है कि साल 2014 के उपचुनाव में कांग्रेस ने रेखा आर्य पर दांव खेला और वो दांव सफल हो गया. रेखा आर्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गयीं.
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कांग्रेस पार्टी में आने के बाद रेखा को पार्टी की नीतियां परेशान करने लगीं. काफी मतभेदों के बाद साल 2016 में ही रेखा आर्य ने बीजेपी का दामन थाम लिया। रेखा आर्य सोमेश्वर सीट से विधायक हैं और वे सूबे की मंत्री पद संभाल रही हैं.