सीएम तीरथ सिंह रावत ( CM Tirath Singh Rawat ) ने एक बड़ा फैसला लिया हैं. मुख्यमंत्री ( CM Tirath Singh Rawat ) ने कहा कि चार धाम (Char Dham) को लेकर आदिगुरु शंकराचार्य की ओर से स्थापित परम्पराओं को जारी रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड ( Devasthanam Board ) में शामिल किए गए 51 मंदिरों को बोर्ड से मुक्त कर दिया जाएगा और देवस्थानम बोर्ड ( Devasthanam Board ) के बारे में पुनर्विचार किया जाएगा. बता दें कि, बद्रीनाथ-केदारनाथ-यमुनोत्री और गंगोत्री सहित 51 तीर्थस्थल राज्य सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में थे.
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तीरथ सिंह रावत ने कहा कि किसी भी अधिकार को उनकी सरकार किसी को भी छीनने नहीं देगी. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि चार धामों के बारे में शंकराचार्यों ने प्राचीन काल से जो व्यवस्था की है, उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा. उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होगी और ना ही किसी के अधिकारों में कटौती होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में जो भी मेरे हाथ में होगा, वह मैं करूंगा, संतों को निराश नहीं होने दूंगा.
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तब के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि नए अधिनियम से हर साल लाखों लोगों द्वारा दर्शन किए जाने वाले श्रद्धालुओं के व्यावसायिक प्रबंधन में मदद मिलेगी. 2019 में तीन लाख से अधिक लोगों ने पहाड़ी राज्य के चार मंदिरों का दौरा किया. अधिनियम के अनुसार, मुख्यमंत्री बोर्ड का अध्यक्ष होगा, जबकि भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का एक वरिष्ठ अधिकारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनेगा.
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नए कानून में एक पुजारी को बर्खास्त करने का प्रावधान है यदि वह किसी भी 'गलत काम' में शामिल पाया जाता है. जब से सरकार ने बिल लाने का फैसला किया, तब से व्यापक आक्रोश था. कई पुजारियों ने आशंका जताई थी कि नई प्रणाली उनकी भूमिका और कर्तव्यों पर अंकुश लगाएगी जो वे और उनके परिवार दशकों से लगे हुए हैं.
बता दें कि, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री सहित 51 तीर्थस्थलों के रूप में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित चार धाम देवस्थानम प्रबंधन को अपनी स्वीकृति देने के बाद राज्य सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में थे.
HIGHLIGHTS
- सीएम तीरथ सिंह रावत ने एक बड़ा फैसला लिया हैं
- 51 तीर्थ स्थलों से 'सरकारी कंट्रोल' के हटाया गया
- 'जो भी मेरे हाथ में होगा, वह मैं करूंगा, संतों को निराश नहीं होने दूंगा'