उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद आए सैलाब में कई लोगों की जानें जा चुकी हैं. इसके साथ ही अभी तक कई लोगों के परिवार भी उजड़ चुके हैं. तपोवन के NTPC टनल में फंसे लोगों को बचाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है. एक कड़वा सत्य ये भी है कि इतने दिनों से टनल में फंसे लोगों के जिंदा बचने की उम्मीदें बहुत कम हैं. हालांकि, सरकार अपनी तरफ से किसी भी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है. इसके बावजूद लापता लोगों के परिजनों ने सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
तपोवन के NTPC टनल में मलबा हटाने का काम जारी है लेकिन देर रात भी ड्रिल में सफलता नहीं मिल पाई. जिसकी वजह से अब नई मशीन से ड्रिल करने की तैयारी की जा रही है. खबरों के मुताबिक टनल में ड्रिल करने के लिए ऋषिकेश से नई मशीन मंगाई गई है, जिसकी मदद से अब नए तरीके से ड्रिल किया जाएगा. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि 7 दिन बाद भी आपदा प्रबंधन तंत्र 37 लोगों की जिंदगी बचाने के लिए कुछ खास और प्रभावी काम नहीं कर पाया है.
NTPC टनल में ड्रिल के लिए ऋषिकेश से DTH मशीन मंगवाई गई है. इस मशीन की मदद से 13 मीटर नीचे टनल के लिए 12 इंच का बड़ा होल किया जाएगा. मशीन के ऑपरेटर का कहना है कि यह मशीन काफी ताकतवर है, जो किसी भी चट्टान या हार्ड रॉक में 1 से 2 घंटे में होल कर सकती है.
टनल में फंसे 37 लोगों को बचाने के लिए सातवें दिन भी मलबा हटाने का काम जारी है लेकिन काम की रफ्तार कुछ खास नहीं है. मलबा हटाने के दौरान कई बार मशीनें मलबे में ही फंस जा रही हैं. इतना ही नहीं, मलबा हटाने के दौरान डंपर का अगला हिस्सा हवा में खड़ा हो गया. पुलिस के जिन जवानों को सुरक्षा में तैनात किया गया है, वे जेब में हाथ डालकर मानो वहां तमाशा देख रहे हैं. अब ऐसे में उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन तंत्र पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- आपदा के 7 दिन बाद भी टनल में नहीं मिला प्रवेश
- टनल में फंसे हो सकते हैं 37 लोग
- प्रशासन पर उठने लगे हैं सवाल
Source : News Nation Bureau