उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में ग्लेशियर (Glacier) टूटने के बाद आई त्रासदी में अभी तक 58 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. आपदा के बाद से अभी भी करीब 146 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. तपोवन (Tapovan) में स्थित NTPC टनल में भी सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ 'मिशन जिंदगी' में जुटी हुई है लेकिन अभी तक टनल से एक भी शख्स जिंदा नहीं मिल पाया है. ताजा जानकारी के मुताबिक टनल से अभी तक कुल 23 लोगों के शव मिल चुके हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आपदा के इतने दिन बीत जाने के बाद टनल में फंसे किसी भी व्यक्ति का जिंदा बचना बहुत मुश्किल है.
उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) ने कहा कि चमोली आपदा की सभी एंगल से जांच कराई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार एक विभाग बनाएगी ताकि उपग्रह के माध्यम से सभी ग्लेशियरों की निगरानी और अध्ययन की जा सके. इसी बीच टनल से निकाले गए शवों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. शवों का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि टनल से निकाले गए मृतकों के फेफड़ों में भारी मात्रा में कीचड़ और गाद मिली है. बताया जा रहा है कि गाद की वजह से फेफड़े तेजी से खराब हुए और सांस लेने में हुई दिक्कत की वजह से उनकी मौतें हुईं.
शवों का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉ. अनूप सोनी की मानें तो टनल में पानी भर जाने की वजह से अंदर काम कर रहे मजदूरों के मुंह और नाक के जरिए पानी गया और पानी के साथ ही कीचड़ और गाद भी उनके शरीर में प्रवेश कर गया. विशेषज्ञों की मानें तो पेट में पानी के साथ पहुंचने वाला कीचड़ इतना खतरनाक नहीं होता लेकिन कीचड़ फेफड़ों को काफी तेजी से डैमेज कर देता है. डॉ. अनूप ने बताया कि मजदूरों के मुंह और नाक से होकर प्रवेश करने वाला कीचड़ और गाद फेफड़ों और पेट तक पहुंच गया, जिसकी वजह से उनकी जानें गईं.
HIGHLIGHTS
- टनल से निकाले गए शवों का किया गया पोस्टमॉर्टम
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
- फेफड़ों में कीचड़ और गाद भरने से हुई लोगों की मौत
Source : News Nation Bureau