उत्तराखंड (Uttarakhand) में कोविड 19 के कारण आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रही उत्तराखंड सरकार ने खर्चों में कटौती करने का बड़ा फैसला किया है. मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह द्वारा इस संबंध में 2020-21 के लिए जारी निर्देशों में कहा कि अतिरिक्त खर्चों के आलोक में प्रशासनिक व्यय में कमी लाए जाने के लिये गंभीर प्रयास अपेक्षित हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि पिछले एक दशक में कम्प्यूटरीकरण होने से विभागों के कार्यभार में कमी आयी है, जिसके दृष्टिगत बदले परिवेश में अनुपयोगी पदों को चिन्हित कर उन्हें समाप्त किया जाए और इन पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को अन्य पदों या अन्य विभागों में समायोजित कर दिया जाए.
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निर्देश में कहा गया है कि इसके अलावा चिकित्सा तथा पुलिस को छोडकर अन्य विभागों में यथासंभव नए पद न स्वीकृत करें तथा अपरिहार्य परिस्थितियों में बाहय एजेंसियों से कार्य करा लिए जाएं. इसमें रिक्त होने वाले चतुर्थ श्रेणी तथा अन्य तकनीकी पदों पर भी नियमित नियुक्तियां करने पर पाबंदी लगा दी गयी है और उनके स्थान पर बाहय स्रोत से काम कराने को कहा गया है. इसी प्रकार, योजनाओं की समीक्षा कर अनुपयोगी योजनाओं को समाप्त करने को भी कहा गया है. उन्होंने कहा कि शासकीय कार्यों हेतु यात्राओं को न्यूनतम रखने और अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर अधिकारियों के लिए हवाई यात्रा की व्यवस्था इकोनोमी श्रेणी में की जाए.
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निर्देशों में कहा गया है कि किसी भी अधिकारी को विदेशों में प्रशिक्षण या पाठयक्रम के लिए ऐसे दौरों की अनुमति नहीं दी जाएगी जिसमें राज्य सरकार को व्यय करना पडे़. सरकारी विभागों, प्राधिकरणों और राज्य के अधीन सार्वजनिक उपक्रमों को नए अतिथि गृह खोलने पर प्रतिबंध लगाया गया है. नए वाहनों के क्रय तथा फर्नीचर बदलने पर भी रोक लगायी गयी है. निर्देशों में कहा गया है सम्मेलनों, कार्यशालाओं का आयोजन निजी होटलों में नहीं होगा तथा राजकीय भोज भी पांच सितारा होटलों में नहीं होंगे. सूचना के आदान प्रदान के लिए ई-मेल तथा वीडियो कांफ्रेंस जैसी सुविधाओं का उपयोग करने का भी निर्देश दिया गया है ताकि स्टेशनरी का कम इस्तेमाल हो और यात्रा व्यय से बचा जा सके. इसके अलावा, कैलेंडर, डायरी के मुद्रण को भी निषिद्ध कर दिया गया है.
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