Cloudburst in Tehri: पहले से ही आपदा की मार झेल रहे टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक में मंगलवार रात भारी बारिश ने विकराल रूप ले लिया. भिलंग पट्टी क्षेत्र में बादल फटने से 13 गांवों में भूस्खलन से व्यापक तबाही हो गई. नदी-नाले गांवों की ओर बहते हुए घरों में मलबा और पानी लेकर आ गए. देखते ही देखते गांवों की सड़कें और मकान बोल्डर और मलबे से ढक गए. दो मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए, जबकि तीन अन्य आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए. ग्रामीणों ने मुश्किल से भागकर अपनी जान बचाई. इस आपदा में पांच गोशालाओं के ध्वस्त होने से 14 मवेशी भी मलबे में दब गए. बिजली, पानी और संचार की लाइनें भी क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे कई गांवों का संपर्क टूट गया. राहत और बचाव कार्यों के लिए प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर कार्य शुरू किया. घुत्तू गांव के दो परिवारों के 10 लोगों को नवजीवन आश्रम में अस्थायी रूप से स्थानांतरित किया गया है.
जुलाई के अंत में भी हुई थी भारी आपदा
आपको बता दें कि भिलंगना ब्लॉक के तिनगढ़, तोली और जखन्याली गांव में जुलाई के अंतिम सप्ताह में भीषण आपदा आई थी, जिसके बाद से प्रभावितों का अब तक पुनर्वास नहीं हो पाया है. अब, भिलंग पट्टी के कई गांवों में भूस्खलन और मलबा आने से मंगलवार रात फिर से तबाही मच गई. रात करीब 11 बजे गांवों के पास के गदेरों (छोटे जलस्रोतों) में अचानक पानी का स्तर बढ़ गया. पानी के साथ बहकर आया मलबा मकानों की ओर बढ़ने लगा. हालांकि, ग्रामीण सतर्क रहते हुए अपने घरों से बाहर निकल आए, जिससे बड़ी जनहानि टल गई. इस घटना में 13 गांवों को खासा नुकसान पहुंचा, जबकि आसपास के नौ अन्य गांवों के लोग भी पूरी रात डर के साये में रहे.
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गांवों में मलबा और बिजली आपूर्ति ठप
वहीं घुत्तू के मलेथी तोक में दुर्गा देवी और जोगियाड़ा गांव की धनपति देवी के मकान पूरी तरह मलबे में दब गए. दुर्गा देवी और उनके बेटे ने मुश्किल से अपनी जान बचाई. इन परिवारों को नवजीवन आश्रम में अस्थायी रूप से स्थानांतरित किया गया है. थाति भिलंग, सांकरी, मलेथा, लोम, चक्रगांव सहित 13 गांवों की पेयजल लाइनों को भूस्खलन से भारी क्षति पहुंची है. कई अन्य गांवों में बिजली आपूर्ति भी पूरी तरह से ठप हो गई है, जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
ग्रामीणों ने खुद को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया
इसके साथ ही आपको बता दें कि भिलंगना क्षेत्र के पूर्व जिला पंचायत सदस्य केदार बड़थ्वाल ने बताया कि आपदा से डरे हुए लगभग 15 हजार लोग पूरी रात जागते रहे. भारी बारिश देर रात तक जारी रही, जिससे ग्रामीणों ने पहले से ही घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेना शुरू कर दिया था. कई लोग पंचायत घर, स्कूल और पड़ोसियों के यहां पहुंच गए.