उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाथियों को खदेड़ने के लिए उन पर लाल मिर्च या मिर्चीबम का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य में 11 हाथी कॉरीडोर के बाहरी इलाकों में रहने वाले लोग हाथियों को भगाने और इंसानों पर उनके हमले की घटनाओं को कम करने के लिए मिर्ची पाउडरों और मिर्ची बम का उपयोग करते थे. हाईकोर्ट ने मंगलवार को हालांकि इसपर रोक लगा दी है. नेपाल के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के हाथी रामनगर, कॉर्बेट और कोसी नदी पहुंचकर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 121 का हिस्सा पार करते हैं, जहां तीन हाथी कॉरीडोर- कोटा, चिलकिया-कोटा और दक्षिण पटलिदुन-चिलकिया स्थित हैं.
मानवीय जनसंख्या बढ़ने के कारण कॉरीडोर्स सालों में सिकुड़ गए हैं, जिससे हाथी इंसानी बस्तियों के करीब पहुंच गए हैं. इन कॉरीडोर के बाहरी इलाकों में रह रहे लोगों ने सालों से जंगली हाथियों से बचाने के लिए एक तरीका अपनाया. वे कॉरीडोर के बाहरी क्षेत्रों में मिर्ची के पाउडर के बैग रखते थे, और जब वे हाथियों का झुंड देखते तो मिर्ची को हवा में उड़ा देते, जिसके बाद हाथियों को पीछे हटना पड़ता.
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नंदपुर गांव के निवासी रमेश तिवारी ने कहा, "हाथी फिर एक सप्ताह तक नहीं आते हैं. पिछले कुछ सालों से क्षेत्र मे हाथियों की संख्या बढ़ी है और ये ना सिर्फ हमारी फसलें बर्बाद करते हैं बल्कि लोगों पर भी हमला कर देते हैं. सरकार कुछ कर नहीं रही है तो हमारे पास मिर्ची का उपयोग करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है."
उन्होंने स्वीकार किया कि हाथियों पर मिर्ची का उपयोग सबसे सस्ता और सुरक्षित विकल्प है क्योंकि इससे हाथी की मौत नहीं होती. क्षेत्र में ज्यादातर किसान गन्ने की खेती करते हैं, जो हाथियों को आकर्षित करता है. पिछले एक साल में हाथियों द्वारा इंसानों पर हमले के लगभग 20 मामले आ चुके हैं. हालांकि हाल ही में नोएडा के एक गैर-सरकारी संगठन इंडिपेंडेंट मेडिकल इनीशिएटिव सोसायटी ने जनहित याचिका दायर (पीआईएल) की थी.
याचिका में आरोप लगाया गया कि इन कॉरीडोर के बीच से गुजरने वाली सड़कों पर मानवीय गतिविधियों पर नियंत्रण करने के बजाय वन विभाग जंगली हाथियों पर मिर्ची से हमला कराने और सड़क के किनारे पटाखे चलाने जैसे क्रूर उपायों से हाथियों की गतिविधियों पर ही नियंत्रण करना चाहता है.
Source : IANS