उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) पर भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई (CBI) जांच के आदेश दिए. मामला गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा है.
दरअसल, एक शख्स ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि रावत के करीबी से गौ सेवा आयोग अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बदले में 25 लाख रुपए की रिश्वत ली गई. आरोपों के मुताबिक इसके लिए 2016 में नोटबंदी के दौरान त्रिवेंद सिंह रावत के करीबी बताए जाने वाले एक दंपत्ति के बैंक खातों में अलग अलग स्रोतों से पैसे जमा कराए गए थे.
सीएम के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर है
कोर्ट ने आरोप लगाने वाले शख्स खिलाफ धोखाधड़ी और राजद्रोह से जुड़ी धाराओं में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद गंभीर है और किसी भी तरह के संदेह दूर होने चाहिए. इसलिए सीबीआई इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच करे जिससे कि मामले की सच्चाई सामने आ सके.
लोगों के मन में ये धरना नहीं होनी चाहिए कि जनप्रतिनिधि सही नहीं है
मुख्यमंत्री तिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ CBI जांच के आदेश वाले फैसले में उत्तराखंड HC ने कई जगह पर करप्शन को लेकर कई सख़्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा- लोगों के मन में ये धारणा नहीं होनी चाहिए कि उनके जनप्रतिनिधि सही नहीं है. अगर कोई झूठे आरोप लगाता है तो क़ानून अपना काम करेगा लेकिन अगर उच्च पदों पर कायम लोगों पर लगे आरोपों की सही तरह तहकीकात नहीं होती, तो ये ना तो समाज की उन्नति के लिए ना ही राज्य के के लिए ठीक रहेगा.
कोर्ट ने दो गीतों का दिया उदाहरण
उत्तराखंड HC ने अपने आदेश में नरेन्द्र सिंह नेगी के लिखे और गाये दो लोकप्रिय गीतों का भी उदाहरण दिया है. कहा,'इन गीतों से उत्तराखंड के लोगों की मनोस्थिति का पता चलता है कि कैसे राज्य के लोग करप्शन को ज़िंदगी का हिस्सा मान चुके है.'
दिलचस्प ये है कि HC ने अपने आदेश में बकायदा उन लोकगीतों का you tube लिंक भी शेयर किया है.
राजद्रोह की धारा लगाने की आलोचना की है
उत्तराखंड HC ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाने वाले शख्स पर राजद्रोह की धारा लगाने की आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि सरकार की आलोचना कभी देशद्रोह नहीं हो सकती. लोकतंत्र में असहमति की आवाज़ का सम्मान होना चाहिए. राजद्रोह जैसी धारा लगाकर अगर असहमति की आवाज़ को दबाने की कोशिश होती है तक ये लोकतंत्र को कमज़ोर करेगा. इस मामले में आरोप लगाने वाले शख्स पर धारा 124 ए के तहत मुकदमा दर्ज करना असहमति को आवाज़ को दबाने की कोशिश है. इसकी इजाज़त नहीं दी जा सकती. क़ानून इसकी इजाज़त नहीं देता.
करप्शन के मामले में CBI जांच के आदेश के खिलाफ उत्तराखंड सीएम तिवेंद्र सिंह रावत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अभी सुनवाई की तारीख तय नहीं है.
Source : News Nation Bureau