उत्तराखंड (Uttarakhand) में चमोली जिले में ग्लेशियर (Chamoli glacier burst) के फटने के बाद वहां के आसपास के क्षेत्र में तबाही का मंजर है. राज्य आपदा बल की टीम ने आज यानि शनिवार को रैणी गांव पहुंची. आपदा बल की टीम (State Disaster Response Force team) ने तपोवन के पास और रैणी गांव ( Raini village) के नजदीक बने झील की स्थिति समीक्षा की. राज्य पुलिस के महानिदेश अशोक कुमार के मुताबिक, झीस से लगातार पानी डिस्चार्ज हो रहा है. हालांकि ये खतरे के क्षेत्र में नहीं है. ऋषिगंगा के मुहाने पर बनी झील के पानी से फिलहाल कोई खतरा न हो इसके लिए प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
#WATCH I Uttarakhand: State Disaster Response Force team reviewed situation at the lake that has been formed upstream of near Raini village, near Tapovan, earlier today.
"Water is continuously discharging from the lake, it's not in danger zone," as per Ashok Kumar, State DGP pic.twitter.com/oXthueuetE
— ANI (@ANI) February 13, 2021
राज्य सरकार के मुताबिक लगातार राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखंड सतर्क है व राहत एवं बचाव कार्यों में लगा हुआ है. पैंग से लेकर तपोवन तक एसडीआरएफ द्वारा मैन्युअली अर्ली वानिर्ंग सिस्टम विकसित किया गया है. पैंग, रैणी व तपोवन में एसडीआरएफ की एक एक टीम तैनात की गई हैं. उत्तराखंड के प्रभावित इलाके में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार की गई है. इसके अंतर्गत दूरबीन, सैटेलाइट फोन व पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम से लैस एसडीआरएफ की टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी.
ये भी पढ़ें: चमोली के जिस गांव में पड़ी प्रकृति की मार, वहां शुरू हुआ था 'चिपको आंदोलन'
एसडीआरएफ की टीमों द्वारा उस क्षेत्र का निरीक्षण भी किया गया, जहां झील बनी है. एसडीआरएफ मुताबिक इससे फिलहाल खतरा नहीं है.
रिदिम अग्रवाल,अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी,उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं डीआईजी एसडीआरएफ ने बताया कि एसडीआरएफ की टीमें लगातार सैटेलाइट फोन के माध्यम से सम्पर्क में हैं.
एसडीआरएफ अर्ली वानिर्ंग सिस्टम टीम के अंतर्गत पहली टीम पेंग गांव में तैनात की गई है. इस टीम में 3 कर्मचारी तैनात कर्मचारी तैनात किए गए हैं. दूसरी टीम रैणी गांव मैं तैनात की गई है और तीसरी टीम तपोवन गांव में कार्यरत है.
पैंग गांव से तपोवन की कुल दूरी 10.5 किलोमीटर है. उत्तराखंड प्रशासन के मुताबिक यदि किसी भी प्रकार से जल स्तर बढ़ता है तो ये अर्ली वानिर्ंग एसडीआरएफ की टीमें तुरंत सूचना प्रदान करेंगी. ऐसी स्थिति में नदी के पास के इलाकों को 5 से 7 मिनट के अंदर तुरंत खाली कराया जा सकता है. एसडीआरएफ के दलों ने रैणी से ऊपर के गांव के प्रधानों से भी समन्वय स्थापित किया है.
जल्द ही दो तीन दिनों में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वानिर्ंग सिस्टम लगा दिया जाएगा, जिससे पानी का स्तर डेंजर लेवल पर पहुंचने पर आम जनमानस को सायरन के बजने से खतरे की सूचना मिल जाएगी. इस बारे में एसडीआरएफ की ये टीमें ग्रामीणों को जागरूक भी कर रही हैं
Source : News Nation Bureau