तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat ) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से इस्तीफा दे दिया है. दिल्ली में भाजपा आलाकमान से बातचीत करने के बाद तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को राज्यपाल से मिलने का समय मांगा था. जिसके बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि रावत राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं. तीरथ सिंह रावत इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री बनाये गये थे. आपको बता दें कि तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से तीन दिनों में दूसरी बार मुलाकात कर राजनीतिक स्थिति और 10 सितंबर से पहले राज्य विधानसभा के लिए उनके चुनाव की आवश्यकता पर चर्चा की थी. नड्डा और रावत के बीच करीब 30 मिनट तक मुलाकात चली थी.
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रावत, जो बुधवार देर रात नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे, वर्तमान में गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद हैं और नियमों के अनुसार, उन्हें मुख्यमंत्री पद संभालने के छह महीने के भीतर एक निर्वाचित विधायक के रूप में शपथ लेने की आवश्यकता होती है. वर्तमान में, दो विधानसभा सीटें - हल्द्वानी और गंगोत्री - खाली पड़ी हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि उपचुनाव समय सीमा से पहले होंगे या नहीं। हालांकि रावत ने कहा था कि उपचुनाव कराने का फैसला चुनाव आयोग करेगा और पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जो भी फैसला करेगा उसका पालन करेंगे.
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सूत्रों ने बताया कि नड्डा ने रावत को समझाया था कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151 ने उनके विधानसभा चुनाव में बाधा उत्पन्न की है. बुधवार की रात गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर एक घंटे की बैठक में सभी संभावनाओं पर चर्चा की गई और रावत को उपचुनाव नहीं कराने पर अधिनियम की धारा 151 के तहत प्रदान किए गए अपवाद के बारे में बताया गया. यदि वैकेंसी के संबंध में बचा कार्यकाल एक वर्ष से कम है या यदि चुनाव आयोग, केंद्र के परामर्श से प्रमाणित करता है कि उक्त अवधि के भीतर उपचुनाव कराना मुश्किल है.
HIGHLIGHTS
- तीरथ सिंह रावत इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री बनाये गये थे
- नड्डा और रावत के बीच करीब 30 मिनट तक मुलाकात चली थी
- रावत बुधवार देर रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे