Uttarkashi Tunnel Rescue में सबसे बड़ा अपडेट! अधिकारी ने बताया इस वक्त निकलेंगे मजदूर

रेस्क्यू ऑपरेशन में शुमार कई अधिकारियों ने इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद जताई है, मगर इसकी सटीक समय सीमा का खुलासा करना मुश्किल है. इसी बीच एनडीएमए के एक वरिष्ठ सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन का इससे जुड़ा महत्वपूर्ण बयान आया है.

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Sourabh Dubey
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Uttarkashi-Tunnel( Photo Credit : social media)

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उत्तरकाशी टनल में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अपने लास्ट स्टेज पर पहुंच गया है. खबरों की मानें तो, अगले कुछ घंटों में बीते 12 दिनों से सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकाला जा सकता है. इसके मिशन को पूरा करने कि लिए देश की तमाम एजेंसियों जुटी हुई हैं. कुछ निजी रिपोर्ट्स की मानें तो, रेस्क्यू ऑपरेशन बस अब 3-4 घंटे और चलेगा, जिसके बाद टनल में फंसे श्रमिकों को आजादी मिल जाएगी. गौरतलब है कि जहां ये ऑपरेशन चल रहा है, वहां का मंजर बहुत खौफनाक है. लंबी दूरी तक NDRF और सुरक्षाबलों की गाड़ियां मुस्तैद है, वहीं एंबुलेंस और चिकित्सकों की भीड़ मौके पर मौजूद हैं. 

हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन में शुमार कई अधिकारियों ने इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद जताई है, मगर इसकी सटीक समय सीमा का खुलासा करना मुश्किल है. इसी बीच राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के एक वरिष्ठ सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन का इससे जुड़ा महत्वपूर्ण बयान आया है. उन्होंने ये रेस्क्यू ऑपरेशन कब पूरा होगा, इसे लेकर जानकारी दी है. 

ऑपरेशन में बढ़ रहा दबाव

तो दरअसल गुरुवार को इस मुद्दे पर बात करते हुए सैयद अता हसनैन ने बताया कि, रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में कोई जल्‍दबाजी की जरूरत नहीं है. बार-बार ये कहना कि अगले दो घंटों में मजदूर बाहर आ जाएंगे, पूरी तरह से गलत है, क्योंकि इससे रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल लोगों पर दबाव बढ़ता है.

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यहां हमें समझना होगा कि, न सिर्फ टनल में फंसे मजदूरों की सुरक्षा जरूरी है, बल्कि उनके साथ-साथ ऑपरेशन में लगे हुए लोगों की हिफाज़त करना भी हमारा फर्ज है. ऐसे में इसे लेकर की गई किसी भी तरह की जल्दबाजी संभावित रूप से जोखिम बढ़ा सकता है, जो खतरनाक है. 

हमें रखना होगा दोनों पक्षों की सुरक्षा का ख्याल

सैयद अता हसनैन ने कहा कि, रेस्क्यू ऑपरेशन के माध्यम से 41 श्रमिकों सुरक्षित बाहर निकालना एक चुनौतीपूर्ण काम है. लिहाजा बार-बार दो घंटों में बचाव कार्य पूरा होने की उम्मीद कार्यबल पर  दबाव बढ़ाती है, जो इस तरह की स्थिति में फंसे हुए श्रमिकों और बचाव दल दोनों की जान जोखिम में डाल सकती है. लिहाजा हमें दोनों पक्षों की सुरक्षा के मद्देनजर आगे बढ़ना होगा. 

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Source : News Nation Bureau

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