Advertisment

उत्तराखंड में UCC लागू होने पर क्या-क्या बदला? जानें शादी से लेकर संपत्ति बंटवारे तक के नियम  

उत्तराखंड में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों पर शादी, तलाक और उत्तराधिकारी जैसे मामलों में एक ही कानून लागू होने वाला है. अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों पर इसके प्रावधान लागू नहीं होने वाले हैं.

author-image
Mohit Saxena
एडिट
New Update
CM pushkar singh dhami

CM pushkar singh dhami( Photo Credit : social media)

Advertisment

UCC Bill: उत्तराखंड विधानसभा में UCC यानी समान नागरिक संहिता बिल पारित हो चुका है. कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन चुका है.  विधानसभा में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत है. ऐसे में इस विधेयक का पास होना तय माना गया था. इससे पहले रविवार को इस बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी थी. यूसीसी के पास होने के बाद जानें क्या-क्या बदलने वाला है. उत्तराखंड में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों पर शादी, तलाक और उत्तराधिकारी जैसे मामलों में एक ही कानून लागू होने वाला है. अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों पर इसके प्रावधान लागू नहीं होने वाले हैं. इस पर विवाद भी छिड़ चुका है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस कानून पर सवाल खड़ा किया है कि जब यूसीसी से आदिवासियों को छूट मिली है, तो मुस्लिमों के क्यों नहीं छूट दी गई?

ये भी पढ़ें: काशी, मथुरा पर CM योगी का बड़ा बयान, भगवान कृष्ण ने मांगे थे पांच गांव, हमें चाहिए सिर्फ तीन केंद्र

शादी की कानूनी उम्र 

इस्लाम में लड़के और लड़की की शादी की कोई उम्र नहीं है. मुस्लिम मानते हैं कि अगर लड़के और लड़की लायक हैं तो तुरंत उनकी शादी हो जानी चाहिए. मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, युवावस्था में लड़कियों की  शादी करवा देनी चाहिए. मगर अब उत्तराखंड के यूसीसी बिल के बाद शादी के लिए एक कानूनी उम्र तय होने वाली है. मुस्लिमों में शादी को लेकर लड़कों की कानूनी उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 वर्ष बताई गई है. मुस्लिम लड़कियों को शादी की कानूनी उम्र को लेकर कोर्ट में भी बहस हो रही है. सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती भी दी गई है. दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में इस्लाम प्रथा को चुनौती देने ये तर्क दिया कि इस तरह से नाबालिगों की शादी की इजाजत मिलती है. 

बहुविवाह पर लगेगी रोक 

मुस्लिमों में चार शादी की इजाजत है. इसे बहुविवाह भी कहा जाता है. हालांकि बाकी के धर्मों में बहुविवाह प्रतिबंधित माना जाता है. यूसीसी के बिल में बहुविवाह को सभी धर्मों के लिए प्रतिबंधित है. बिल के अनुसार, दूसरी शादी तब तक नहीं की जा सकती है, जब तक पति या पत्नी जीवित है या तलाक न हुआ हो. पहली पत्नी के जीवित रहते हुए और बिना तलाक के दूसरी शादी नहीं की जा सकती है. सिर्फ बहुविवाह ही नहीं, बल्कि प्रस्तावित यूसीसी बिल में मुस्लिमों के निकाह हलाला और इद्दत जैसे रिवाज पर भी रोक है. 

संपत्ति के मामले में 

इस्लामी कानून के अनुसार, मुस्लिम सख्स अपनी संपत्ति का एक-तिहाई हिस्सा किसी के हवाले कर सकता है. वही  बाकी का हिस्सा उसके परिवार के सदस्य को मिलता है. अगर मरने से पहले किसी तरह की वसीयत नहीं लिखी गई थी, तो फिर संपत्ति का बंटवारा कुरान और हदीद में दिए तरीकों के अनुसार होगा. प्रस्तावित यूसीसी बिल में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है. इसमें अगर किसी की मौत होती है और वह अपने पीछे वसीयत छोड़कर गया है तो ये जरूरी नहीं है कि उसे कोई हिस्सा, किसी तीसरे को देना ही होगा. 

हिंदुओं के लिए... 

यूसीसी के बिल में हिंदुओं को लेकर बड़ा बदलाव हुआ है. इसका प्रभाव पैतृक संपत्ति और स्व-अर्जित संपत्ति पर हुआ है. यूसीसी में उत्तराधिकार के वर्ग मेंं कैटेगरी-1 में माता-पिता को शामिल किया गया है. अब तक होता ये था कि अगर किसी शख्स की बिना वसीयत तैयार किए मृत्यु हो जाती है तो उसकी संपत्ति कैटेगरी-1 के उत्तराधिकारों को जाती है. अब इनके न होने पर कैटेगरी-2 के उत्तराधिकारियों को मिलेगी. अब कैटेगरी-1 के उत्तराधिकारों में बच्चे, विधवा, माता और पिता दोनों होते हैं. वहीं हिंदू उत्तराधिकारी कानून के तहत कैटेगरी-1 में मात्र माता थी और कैटेगरी-2 में पिता थे.

Source : News Nation Bureau

Uttarakhand News pushkar singh dhami Uniform Civil Code Common Civil Code ucc muslim changes ucc hindu changes ucc updates
Advertisment
Advertisment
Advertisment