Cloud Burst in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बीती रात हुई जोरदार बारिश ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस मूसलधार बारिश की वजह से कई स्थानों पर भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं. खास बात यह है कि मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग-003 पर पलचान के पास बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है. इस घटना के कारण सड़कों पर बड़े-बड़े पत्थर गिर गए हैं, जिससे सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है.
सड़क बंद, धुंधी से पलचान तक गाड़ियों की आवाजाही ठप
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश पुलिस ने जानकारी दी है कि इस प्राकृतिक आपदा के चलते धुंधी से पलचान तक की सड़क सभी प्रकार के वाहनों के लिए बंद कर दी गई है. इस मार्ग पर आवाजाही बंद होने के कारण गाड़ियों को अटल टनल से वाया रोहतांग होकर मनाली भेजा जा रहा है. पुलिस ने लोगों को वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने का निर्देश दिया है ताकि उनकी यात्रा सुरक्षित रहे.
बीते साल की आपदा की यादें ताजा
वहीं यह घटना पिछले साल की बारिश से हुई आपदा की भयावह यादों को ताजा कर देती है, जब हिमाचल प्रदेश के मंडी, कुल्लू, मनाली और शिमला जिलों में भारी तबाही मची थी. उस समय भी भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया था.
स्थानीय लोगों में डर और दहशत
आपको बता दें कि स्थानीय निवासियों ने बताया कि रात के समय जोरदार बारिश होने के कारण बादल फटने जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. इस दौरान बड़े-बड़े पत्थरों के गिरने की आवाजें सुनाई दीं. अंधेरे में कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था, जिससे लोगों में डर और दहशत का माहौल बन गया. सड़कों पर पड़े पत्थरों और क्षतिग्रस्त सड़क ने यात्रा को और भी कठिन बना दिया है. इसके अलावा, नदी ने भी अपना मार्ग बदल लिया है, जिससे आसपास के इलाकों में जलस्तर बढ़ गया है.
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सुरक्षा निर्देशों का पालन आवश्यक
इस कठिन परिस्थिति में लोगों की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है:-
- सावधानी से गाड़ी चलाएं और रास्ते में संभावित खतरों के प्रति सतर्क रहें.
- अत्यावश्यक होने पर ही यात्रा करें और यातायात अपडेट के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क में रहें.
- किसी भी आपात स्थिति में जिला आपदा नियंत्रण कक्ष 9459461355 या कंट्रोल रूम 8988092298 पर संपर्क करें.
बहरहाल, इस प्राकृतिक आपदा ने हिमाचल प्रदेश के निवासियों को एक बार फिर से सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत को रेखांकित किया है. प्रशासन और जनता को मिलकर इस स्थिति का सामना करना होगा ताकि जनहानि और संपत्ति के नुकसान को कम किया जा सके.