भले ही बीजेपी पश्चिम बंगाल (West Bengal) में हिंसा को मुद्दा बना रही है और राज्य सरकार पर तमाम आरोप लगा रही है, लेकिन वह राज्य में राष्ट्रपति शासन (President Rule) लगाएगी, इसकी उम्मीद कम है. राज्य में राष्ट्रपति शासन (President Rule) लगाकर वह तृणमूल कांग्रेस (Trinmool Congress) और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को Victim Card खेलने का मौका नहीं देना चाहेगी, बल्कि खुद को हिंसा से पीड़ित के रूप में पेश करेगी. हालिया लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में भले ही राज्य में बीजेपी का जबर्दस्त उभार हुआ है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस (Trinmool Congress) अब भी वहां मजबूत है. हालांकि राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी (Keshrinath Tripathi) के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है.
अगर राज्य में राष्ट्रपति शासन (President Rule) लग जाता है तो तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि बीजेपी का विरोध करने की सजा उन्हें मिली है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि राज्य में बीजेपी (BJP) ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएगी, जिससे ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के प्रति राज्य की जनता में सहानुभूति पैदा हो. बीजेपी हिंसा को लगातार मुद्दा बनाएगी, विरोध प्रदर्शन करेगी, सड़कों पर उतरेगी और हिंसा को लेकर तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी पर हमला करती रहेगी, ताकि राज्य में कानून व्यवस्था और संविधान सम्मत काम न हो पाने को लेकर जनता की एकराय बनाई जा सके.
राज्य के बीजेपी नेता राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर लगातार आपत्ति जता रहे हैं. उनका आरोप है कि टीएमसी कार्यकर्ता ही हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं. राज्यपाल को इसका संज्ञान लेना चाहिए. राज्य के नेताओं का आरोप है कि अपनी खिसकती जमीन देखकर ममता बनर्जी घबरा गई हैं, इसलिए वे हिंसा के जरिये लोगों को डरा रही हैं.
बीजेपी के एक नेता ने बताया, जनता अच्छी तरह से जानती है कि हिंसा कौन करवा रहा है? इसका दुष्परिणाम ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा. ऐसे में भाजपा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की ‘राजनीतिक गलती’ नहीं करेगी.