बिहार के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने प्रदर्शन से काफी गदगद है. बिहार के बाद अब सबकी निगाहें पश्चिम बंगाल पर है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बंगाल फतह के लिए मेगा प्लान तैयार किया है. बीजेपी ने अपने मेगा प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है और बंगाल में जीत दम भरने के लिए पूरी रणनीति बना ली है. बीजेपी का लक्ष्य इस बार ममता के किले में सेंध लगाकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना है.
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बीजेपी के मिशन बंगाल को हम डिकोड करें तो राजनीतिक के चाणिक्य कहे जाने वाले अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा कैलाश विजयवर्गीय, अमित मालवीय, दिलीप घोष, शिव प्रकाश सिंह, मुकुल रॉय और अर्जुन सिंह को नाम हैं, जो इस प्लान को बंगाल में एक्जिक्यूट करेंगे. शाह और नड्डा बंगाल में विधानसभा चुनाव समाप्त होने तक हर महीने राज्य का दौरा करेंगे तो बाकी के दिग्गज जमीनी स्तर पर पार्टी के मजबूत करने में लगे हैं.
2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 10.16 फीसदी वोट के साथ विधानसभा की 3 सीटें मिली थीं, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 40.64 फीसदी वोट के साथ 18 लोकसभा की सीटें मिलीं और बीजेपी अपने आप को बंगाल में मुख्य विरोधी पार्टी के रूप में स्थापित करने में कामयाब रही. यही सबसे बड़ी वजह है बीजेपी के आत्मविश्वास की.
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लोकसभा चुनाव में मिली जीत के आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं. लोकसभा चुनाव में टीएमसी 43.69 फीसदी वोट शेयर के साथ 22 लोकसभा सीटे जीतने में कामयाब रही, जो 2014 के मुकाबले 12 सीटों का नुकसान था. हालांकि असली लड़ाई यहीं से शुरू होती है. दरअसल, इस नतीजे के दौरान 122 ऐसी विधानसभा सीटें थी, जहां भाजपा ने जीत दर्ज की थी. जबकि टीएमसी 163 विधानसभा सीटो पर अपनी बढ़त बनाई थी. यही वो आंकड़ा है जो जिस आधार पर बीजेपी जीत का दावा ठोंक रही है.