भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनाव के बाद की हिंसा के विरोध में पश्चिम बंगाल विधानसभा में अध्यक्ष चुनाव का बहिष्कार किया और यह पर्याप्त संकेत है कि भगवा पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए चीजें आसान नहीं होने देगी. हालांकि सत्ताधारी दल ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में दो तिहाई बहुमत हासिल किया है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा, हम एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने जा रहे हैं. हम किसी भी विकास कार्यक्रम या किसी भी पहल के रूप में सत्ताधारी पार्टी के साथ हैं जो लोगों को लाभान्वित करेगा. लेकिन तृणमूल कांग्रेस अगर बाधा पहुंचाने की कोशिश करेगी, तो हम इसका कड़ा विरोध करेंगे.
उन्होंने कहा, जहां तक कोरोना वायरस और टीकाकरण का सवाल है, हम पहले ही सहयोगी विपक्ष की भूमिका निभा चुके हैं, लेकिन हम चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद सत्ताधारी दल की गुंडागर्दी को स्वीकार नहीं कर सकते. हालांकि भाजपा विधायक दल ने आगामी विधानसभा सत्रों के लिए एक व्यापक कार्य योजना विकसित नहीं की है, लेकिन इसके राज्य आलाकमान ने पहले ही 75 विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में वापस जाने और लोगों तक पहुंचने का निर्देश दिया है.
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यह पूछे जाने पर कि वे विधानसभा में आने वाले सत्रों में कैसा प्रदर्शन करना चाहेंगे, भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, अभी यह कहना बहुत मुश्किल है. हम एक बार और जब चीजें होंगी, तब तय करेंगे. यह पहली बार है जब हम मुख्य विपक्षी की भूमिका निभा रहे हैं. हम लोगों को गलत संकेत नहीं देना चाहते. भाजपा मुख्य रूप से दो कारणों से चिंतित है- विशेष रूप से उच्च और निम्न जाति के हिंदुओं के वोटों का क्षरण और एक स्वीकार्य चेहरे की अनुपस्थिति जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुकाबला करने में सक्षम हो.
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प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष पहले ही राज्य में मौजूद राष्ट्रीय नेताओं को वापस जाने के लिए कह चुके हैं और आश्वासन दिया है कि राज्य भाजपा इकाई जमीनी स्थिति को बेहतर ढंग से संभालने में सक्षम है और यह स्पष्ट करते हुए कि राष्ट्रीय भाजपा नेताओं की मतदाताओं के बीच स्वीकृति नहीं थी.
HIGHLIGHTS
- पश्चिम बंगाल में टीएमसी को मिलेगी कड़ी टक्कर
- विधानसभा में विपक्ष की भूमिका में रहेगी बीजेपी
- इस बार सत्ताधारी टीएमसी नहीं कर पाएगी मनमानी