पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले जारी हिंसा पर कोलकता हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोलकता हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं. कोलकता उच्च न्यायालय ने यह फैसला बीजेपी, कांग्रेस और वाम दलों की ओर से दायर याचिका पर सुनाया है. याचिका में बताया गया है कि पंचायत चुनाव से पहले प्रदेशभर में टीएमसी की ओर से हिंसा फैलाई जा रही है. साथ ही कुछ उम्मीदवारों के नाम लिस्ट से गायब हो गए हैं. इस पर 21 जून को कोलकता हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं.
पंचायत चुनाव से पहले बंगाल के मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना में नार्थ दिनाजपुर और भानगर में हिंसक झड़प हुई थी. इन इलाकों में हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई राज्य के भानगर क्षेत्र में हिंसा सबसे ज्यादा देखने को मिली थी. यहां इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (ISF) और सीएम ममता की पार्टी TMC के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए थे. यहां एक दूसरे पर बम फेंके गए और कई गोलियां भी चलीं. साथ ही कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. पंचायत चुनाव से पहले बंगाल में 7 लोगों की जान जा चुकी है.
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सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकार को लगा झटका
सुप्रीम कोर्ट भी बंगाल पंचायत चुनाव की हिंसा पर सख्ती दिखा चुका है. कलकता हाईकोर्ट ने 15 जून को आदेश दिया था कि पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती होगी. इस पर बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'चुनाव करवाना हिंसा का लाइसेंस नहीं है. अगर लोग नामांकन करने नहीं जा पा रहे या उम्मीदवारों के समर्थक आपस में भिड़ रहे हैं तो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कैसे हो सकता है.
8 को मतदान, 11 जुलाई को मतगणना
गौरतलब है कि बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव हैं. वहीं, 11 जुलाई को मतगणना होनी है इससे पहले 15 जून तक चुनाव के नामांकन भरने के आखिरी तारीख थी, लेकिन इस दौरान कई बार हिंसा होने के चलते कई लोगों की जान चली गई है.