कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की कथित तौर पर लज्जा का अनादर करने के प्रयास के लिए केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के खिलाफ दायर कोलकाता पुलिस के आरोप पत्र को बुधवार को रद्द कर दिया और कहा कि आरोपी ने ऐसा कोई अपराध नहीं किया. यह घटना 2017 की है. उस वक्त मोइत्रा तृणमूल कांग्रेस की विधायक थीं. बहरहाल, अदालत ने गौर किया कि सुप्रियो ने टेलीविजन पर एक बहस के दौरान मोइत्रा को कहा कि क्या वह नशे में हैं. इस टिप्पणी को अदालत ने ‘‘मानहानिकारक’’ माना. न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी ने मोइत्रा को सुप्रियो के खिलाफ कथित मानहानि के लिए कानूनी कार्रवाई करने की छूट दे दी.
सुप्रियो केंद्र सरकार में भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम राज्यमंत्री हैं. न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि आरोप पत्र में यह खुलासा नहीं किया गया है कि आरोपी ने भादंसं की धारा 509 (शब्द, हावभाव या कार्य जिसका उद्देश्य महिला की लज्जा का अनादर करना हो) के तहत कोई अपराध किया है. उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) के तहत असंज्ञेय अपराध है और किसी मजिस्ट्रेट के आदेश के बगैर कोई पुलिस अधिकारी इस तरह के मामलों की जांच नहीं कर सकता है. बहरहाल, न्यायाधीश ने सुप्रियो को फटकार लगाई और कहा, ‘‘किसी महिला के खिलाफ इस तरह का मानहानिकारक बयान देकर याचिकाकर्ता ने प्रथम दृष्ट्या न केवल एक महिला की गरिमा का अपमान किया है बल्कि अपनी संवैधानिक शपथ का भी उल्लंघन किया है.’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जनप्रतिनिधि से उम्मीद की जाती है कि व्यवहार में उसे विनम्र होना चाहिए, तौर-तरीके में शिष्ट होना चाहिए और बोलने में सतर्कता बरतनी चाहिए.’’ साथ ही अदालत ने मोइत्रा को उपयुक्त मंच पर मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने की छूट दी. मोइत्रा 2019 में लोकसभा सदस्य चुनी गई थीं. उन्होंने सुप्रियो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि 2017 में एक राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल पर बहस के दौरान उन्होंने ऐसी टिप्पणी की जिसका उद्देश्य उनकी लज्जा का अनादर करना था.
Source : Bhasha