नारदा घोटाला मामले ( Narada case ) में एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं फरहाद हाकिम, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी और सोवन चटर्जी को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बजाय इन्हें 'हाउस अरेस्ट' करने का आदेश दिया गया. जिसके खिलाफ अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सीबीआई की ओर से टीएमसी नेताओं को नजरबंद करने की अनुमति देने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय ( Calcutta High Court ) के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और आज सुनवाई स्थगित करने की मांग की है.
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हाल ही में कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तृणमूल कांग्रेस के चारों नेताओं को हाउस अरेस्ट रहने का आदेश दिया था. कोलकाता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने यह फैसला दिया था, जबकि दोनों में मतभेद थे. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चारों नेताओं को जमानत दे दी थी और साथ में आदेश दिया था कि गिरफ्तार किए गए चार टीएमसी नेताओं को नजरबंद रखा जाए और उन्हें सभी चिकित्सा सुविधाएं दी जाएं.
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बता दें कि सीबीआई ने 2016 के नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में पिछले सोमवार को पश्चिम बंगाल के मंत्रियों सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद से ही इस मामले ने तूल पकड़ लिया था. बंगाल में जगह जगह हिंसा देखने को मिली थी. तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों की रिहाई की मांग को लेकर टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने सीबीआई दफ्तर के बाहर भी बवाल मचाया था. यहां तक की खुद ममता बनर्जी गिरफ्तारी के विरोध में सीबीआई के दफ्तर पहुंचकर धरने पर बैठ गई थीं.
HIGHLIGHTS
- नारदा केस में सुप्रीम कोर्ट पहुंची सीबीआई
- TMC नेताओं के हाउस अरेस्ट को चुनौती
- CBI ने आज सुनवाई टालने की मांग की