देशभर में हिजाब को लेकर मचे संग्राम के बीच पश्चिम बंगाल भी इसकी चपेट में आता दिख रहा है. ताजा मामला पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के सूती इलाके से सामने आया है. यहां बहुताली हाई स्कूल में कथित तौर पर स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा छात्राओं को हिजाब अथवा काला ओढ़ना पहनने से मनाही का आरोप लगा है. इस घटना के बाद शनिवार को बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल में पहुंचे और प्रधानाध्यापक के साथ ही अन्य शिक्षकों का घेराव कर वहां प्रदर्शन करने लगे. घटना की सूचना मिलने के बाद जब पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया तो आरोप है कि प्रदर्शनकारी सैकड़ों लोगों ने वहां पुलिस पर भी पथराव शुरू कर दिया. इस दौरान दोनों ओर से जमकर झड़प हुई. जिसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ ही साथ लाठीचार्ज भी किया. बाद में किसी तरह से लोगों के चंगुल से प्रधानाध्यापक समेत अन्य शिक्षकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. घटना के बाद से ही पूरे इलाके में तनाव माहौल बना हुआ है.
केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने की मांग
हिजाब को लेकर चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे समानता, गरिमा सुनिश्चित करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए पंजीकृत और राज्य मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में एक 'कॉमन ड्रेस कोड' लागू करें. गाजियाबाद निवासी निखिल उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सभी को समान अवसर के प्रावधानों के माध्यम से लोकतंत्र के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने के लिए सार्वभौमिक शिक्षा की भूमिका को हमारे गणतंत्र की स्थापना के बाद से स्वीकार किया गया है. अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, "इस प्रकार, एक समान ड्रेस कोड न केवल समानता, सामाजिक न्याय, लोकतंत्र के मूल्यों को बढ़ाने और एक न्यायपूर्ण और मानवीय समाज बनाने के लिए आवश्यक है, बल्कि जातिवाद, सांप्रदायिकता, वर्गवाद, कट्टरवाद, अलगाववाद और कट्टरवाद के सबसे बड़े खतरे को कम करने के लिए भी आवश्यक है."
Source : News Nation Bureau