Advertisment

Kolkata HC ने सौरव गांगुली पर आधारहीन PIL करने के लिए वकील पर जुर्माना

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष की कुर्सी से हटाने को चुनौती देने वाली आधारहीन जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने के लिए एक वकील पर जुर्माना लगाया है. एडवोकेट रामप्रसाद सरकार, जिन्होंने यह दावा करते हुए जनहित याचिका दायर की थी कि गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष के पद से हटाना एक राजनीतिक साजिश थी, याचिका पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ द्वारा शुरू में 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया, हालांकि, इस संबंध में याचिकाकर्ता की अपील के बाद जुर्माने की राशि को घटाकर 25,000 रुपये कर दिया गया.

author-image
IANS
New Update
Kolkata High Court

(source : IANS)( Photo Credit : Twitter)

Advertisment

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष की कुर्सी से हटाने को चुनौती देने वाली आधारहीन जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने के लिए एक वकील पर जुर्माना लगाया है. एडवोकेट रामप्रसाद सरकार, जिन्होंने यह दावा करते हुए जनहित याचिका दायर की थी कि गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष के पद से हटाना एक राजनीतिक साजिश थी, याचिका पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ द्वारा शुरू में 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया, हालांकि, इस संबंध में याचिकाकर्ता की अपील के बाद जुर्माने की राशि को घटाकर 25,000 रुपये कर दिया गया.

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को दंड की राशि जल्द से जल्द राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा कराने का निर्देश दिया है. सोमवार को गांगुली के वकील अदालत में मौजूद थे, जिन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल व्यक्तिगत रूप से इस जनहित याचिका का समर्थन नहीं करते हैं और रोजर बिन्नी के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने पर कोई आपत्ति नहीं है.

गांगुली के वकील ने कहा, नियमों के मुताबिक, मेरे मुवक्किल ने बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. वह अपने कार्यकाल में सफल रहे हैं. इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सवाल किया कि क्या रोजर बिन्नी की नियुक्ति बीसीसीआई के चुनाव के माध्यम से की गई थी. जवाब में गांगुली के वकील ने कहा कि रोजर बिन्नी की नियुक्ति चुनाव के जरिए हुई और उनके मुवक्किल ने इसके लिए नामांकन दाखिल नहीं किया. गांगुली के वकील ने कहा, इसलिए रोजर बिन्नी को निर्विरोध चुना गया और सौरव गांगुली को उनका पूरा समर्थन है.

उसके बाद खंडपीठ ने कहा कि चूंकि जिस व्यक्ति के बारे में जनहित याचिका दायर की गई थी, उसे पूरे मुद्दे से कोई समस्या नहीं है, इसलिए जनहित याचिका का कोई औचित्य नहीं है. इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश ने गांगुली के वकील से पूछा कि क्या उनके मुवक्किल का इरादा है कि मामले में याचिकाकर्ता को जुर्माना लगाया जाए. हालांकि गांगुली के वकील ने नहीं में जवाब दिया, लेकिन खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया जिसे बाद में घटाकर 25,000 रुपये कर दिया गया.

सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ने के बाद पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इस फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में बताया. दूसरी ओर, भाजपा नेतृत्व ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री ने सुपरस्टार शाहरुख खान को गांगुली के बजाय पश्चिम बंगाल का ब्रांड एंबेसडर क्यों बनाया.

Source : IANS

Sourav Ganguly Kolkata High Court Bengal news PIL
Advertisment
Advertisment
Advertisment