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Kolkata Rape Murder Case: ममता बनर्जी का बड़ा कदम, 36 दिन में दोषियों को फांसी...

कोलकाता रेप एंड मर्डर केस में जहां एक तरफ एक डॉक्टर का सनसनी खेज बयान सामने आया है वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मंगलवार को एक बड़ा कदम उठाया है.

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Dheeraj Sharma
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Kolkata Rape Murder Case CM Mamata Banerjee Big Step
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Kolkata Rape and Murder Case: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या मामले ने देशभर को झंकझोर दिया है. इस मामले में लगातार नई जानकारियां सामने आ रही हैं. वहीं इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अब पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने भी बड़ा कदम उठाया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन एक अहम बिल पेश किया है. ये बिल है दुष्कर्म विरोधी बिल. इस बिल का मकसद पीड़ितों को तुरंत न्याय दिलाना और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देना है. इस बिल में 10 दिन के अंदर दोषियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान है. 

क्या है बिल का नाम, कैसे करेगा काम

ममता बनर्जी सरकार की ओर से पेश किए गए बिल का नाम अपराजित महिला और बाल विधेयक 2024 है. इस विधेयक के तहत महिलाओं को बच्चों से अपराध को लेकर कई नियमों को तय किया गया है. इस बिल का उद्देश्य यही है कि प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के साथ हो रहे अपराध पर लगाम लगाई जा सके. 

क्या है अफराजिता बिल 

ममता सरकार की ओर से पेश किए गए अपराजित बिल में रेप, हत्या के मामले में फांसी का प्रावधान है. इस विधेयक के तहत चार्जशीट दायर करने के 36 दिन के अंदर मौत की सजा का प्रावधान होगा. वहीं जुर्म साबित होने के 10 दिन में फांसी दी जाएगी. 

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इस बिल में रेप के अलावा एसिड अटैक भी उतना ही गंभीर अपराध की श्रेणी में होगा. इसके लिए भी इस बिल में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान भी रहेगा. इसके साथ ही हर जिले में एक स्पेशल टास्क फोर्स-रेप, एसिड अटैक या फिर छेड़छाड़ के केस से संबंधित लगाई जाएगी तो कार्रवाई में मदद करेगी. 

पहचान उजागर करने वाले पर कार्रवाई

ममता सरकार के अपराजिता बिल में रेप से संबंधित मामले में उसकी पहचान उजागर करने वाले के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई का प्रावधान रखा गया है. बता कि ये पहली बार नहीं इससे पहले इस तरह के बिल लाने की कोशिश की गई थी.

हालांकि पश्चिम बंगाल में ऐसा पहली बार हुआ है. इससे पहले जिन दो राज्यों ने इस तरह के बिल लाने की कोशिश की उनमें आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र प्रमुख रूप से शामिल हैं. इन दोनों ही राज्यों में 2019-20 में इस तरह के बिल लाने की पहल की गई थी.  

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