प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर वन नेशन, वन इलेक्शन की पैरवी करते नजर आते रहे हैं. उनका कहना है कि इससे न सिर्फ देश के संसाधन बचेंगे, बल्कि चुनावी प्रक्रियाओं में लगने वाले समय की भी बचत होगी, हालांकि इसी बीच ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आज यानि गुरुवार 11 जनवरी को, One Nation, One Election को भारत के संवैधानिक बुनियादी ढांचे के विरुद्ध करार दिया है. उन्होंने कहा कि एक देश, एक चुनाव सही नहीं है...
गौरतलब है कि, इस मुद्दे के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस (TMC) की चीफ ममता बनर्जी ने One Nation, One Election से जुड़ी कमेटी, जिसकी अगुवाई स्वयं पूर्व राष्ट्रपति कोविंद कर रहे हैं, उन्हें एक लेटर लिखा है और कहा है कि, वे देश में एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है.
लेटर में आगे लिखा कि, साल 1952 में एसी ही कोशिश की गई थी, जब लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव आने वाले कुछ सालों तक एक साथ हुए थे. हालांकि ये प्रणाली लंबे वक्त तक कायम न रह सकी थी.
One Nation, One Election को लेकर ममता बनर्जी का कहना है कि, देश में संघ और राज्य चुनाव एक साथ नहीं होना भारतीय संवैधानिक व्यवस्था की मूल संरचना का हिस्सा है. ये शासन की वेस्टमिंस्टर प्रणाली की एक बुनियादी विशेषता है.
एक देश, एक चुनाव कमेटी का क्या काम है?
गौरतलब है कि, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति कमेटी मूल काम लोकसभा, विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की संभावना पर विचार कर, सिफारिश करना है. बता दें कि इस कमेटी के सदस्य गृह मंत्री अमित शाह, वित्त कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, सुभाष सी कश्यप, हरीश साल्वे, संजय कोठारी, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद हैं. मगर अधीर रंजन चौधरी ने अपना नाम बाद में वापस ले लिया था.
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