ममता बनर्जी का बड़ा ऐलान, बंगाल के पुजारियों को मिलेगी आर्थिक सहायता और आवास

ममता बनर्जी ने राज्य के 8 हजार से भी ज्यादा पुजारियों के लिए 1,000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता और मुफ्त आवास की घोषणा की. बता दें कि पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं.

author-image
Sunil Chaurasia
New Update
cm mamata banerjee

ममता बनर्जी( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

लंबे समय से हिंदू-विरोधी होने का आरोप झेलती आ रही हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को हिंदुओं को लुभाने के लिए एक बड़ा ऐलान किया. ममता बनर्जी ने राज्य के 8 हजार से भी ज्यादा पुजारियों के लिए 1,000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता और मुफ्त आवास की घोषणा की. बता दें कि पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसे देखते हुए ममता बनर्जी ने हिंदुओं को लुभाने के लिए ये बड़ा ऐलान किया है.

बनर्जी पर विपक्ष अक्सर ‘‘अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण’’ का आरोप लगाता है. राज्य के हिंदी भाषी और आदिवासी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए बनर्जी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने एक हिंदी अकादमी और एक दलित साहित्य अकादमी स्थापित करने का निर्णय किया है. उन्होंने यह घोषणा हिंदी दिवस के दिन की, जो हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के तौर पर अपनाने की याद में प्रतिवर्ष इस दिन मनाया जाता है. विपक्षी दलों ने इन घोषणाओं को ‘‘चुनावी हथकंडा’’ करार दिया.

ये भी पढ़ें- जया बच्चन का रवि किशन पर हमला, जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं

बनर्जी ने कहा, ‘‘हमने पहले सनातन ब्राह्मण संप्रदाय को कोलाघाट में एक अकादमी स्थापित करने के लिए भूमि प्रदान की थी. इस संप्रदाय के कई पुजारी आर्थिक रूप से कमजोर हैं. हमने उन्हें प्रतिमाह 1,000 रुपये का भत्ता प्रदान करने और राज्य सरकार की आवासीय योजना के तहत मुफ्त आवास प्रदान करके उनकी मदद करने का फैसला किया है. मैं आप सभी से अनुरोध करती हूं कि इस घोषणा का अन्य कोई मतलब नहीं निकालें. यह ब्राह्मण पुजारियों की मदद करने के लिए किया जा रहा है. उन्हें अगले महीने से भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा क्योंकि यह दुर्गा पूजा का समय है.’’

बताते चलें कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि ममता बनर्जी की मानसिकता ‘‘हिंदू विरोधी’’ है और वह ‘‘अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’’ नीति अपना रही है. नड्डा के इस आरोप एक सप्ताह के भीतर ममता बनर्जी ने ये बड़ी घोषणा कर दी है. पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी राज्य सरकार पर ‘‘अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण’’ का आरोप लगाया है. 2011 में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में आने के बाद तब आलोचना का सामना करना पड़ा था जब उसने इमामों के लिए मासिक भत्ते की घोषणा की थी.

ये भी पढ़ें- दूसरी बार राज्यसभा उपाध्यक्ष चुने गए हरिवंश, PM मोदी ने कही ये बात

राज्य सरकार ने तब कहा था कि यह पश्चिम बंगाल के वक्फ बोर्ड द्वारा प्रदान किया जाएगा. हिंदी भाषी लोगों और राज्य के आदिवासी क्षेत्रों के बीच भाजपा के समर्थन के आधार पर सेंध लगाने के प्रयास के तहत राज्य सरकार ने एक हिंदी अकादमी और एक दलित साहित्य अकादमी के गठन की भी घोषणा की. उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले सत्ता में आने के बाद एक हिंदी अकादमी का गठन किया था. आज हमने इसका पुनर्गठन करके एक नई हिंदी अकादमी बनाने का फैसला किया है जिसके अध्यक्ष पूर्व (तृणमूल कांग्रेस) राज्यसभा सदस्य विवेक गुप्ता होंगे. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और भाषायी आधार पर कोई पूर्वाग्रह नहीं है.’’

गुप्ता कोलकाता से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के संपादक भी हैं. बनर्जी ने साथ ही अकादमी के 25 सदस्यीय बोर्ड की भी घोषणा की. उन्होंने राज्य के आदिवासी मतदाताओं तक भी पहुंच बनाने का प्रयास किया जिसमें से एक बड़े वर्ग ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जंगलमहल क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में मतदान किया था. इसमें झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुरा और पुरुलिया जिले आते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आदिवासियों की भाषाओं की बेहतरी के लिए हमने एक दलित साहित्य अकादमी का गठन करने का फैसला किया है. दलितों की भाषा का बंगाली भाषा पर प्रभाव है.’’

ये भी पढ़ें- BJP सांसद रवि किशन ने बॉलीवुड में ड्रग्स और सुशांत की मौत का मुद्दा सदन में उठाया

विपक्षी भाजपा और माकपा ने राज्य सरकार के हिंदू पुजारियों को भत्ते और एक हिंदी अकादमी के गठन के निर्णय की आलोचना की और दावा किया कि यह सब ‘‘चुनावी हथकंडा’’ है. भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा, ‘‘वह इन सभी वर्षों तक क्या कर रही थीं? उन्होंने इमामों के लिए इसी तरह की सहायता की घोषणा करने पर इस भत्ते की घोषणा क्यों नहीं की? यह और कुछ नहीं बल्कि एक चुनावी हथकंडा है. जहां तक हिंदी अकादमी का सवाल है तो वह तृणमूल कांग्रेस थी जिसने हिंदी भाषी लोगों को बाहरी कहा था.’’ पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि घोषणा तृणमूल कांग्रेस सरकार की हताशा को दर्शाती है.

चौधरी ने दावा किया, ‘‘मुख्यमंत्री ने महसूस किया है कि केवल अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण से काम नहीं चलेगा. इसलिए, उन्होंने हिंदू पुजारियों को सहायता देने का फैसला किया है. यह एक चुनावी हथकंडा है. हिंदू या मुस्लिमों के विकास में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है.’’ माकपा की केंद्रीय समिति सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि इस तरह की राजनीति राज्य में सांप्रदायिक विभाजन को और गहरा करेगी.

Source : News Nation Bureau

West Bengal Mamata Banerjee west bengal news West Bengal CM Hindu Priests
Advertisment
Advertisment
Advertisment