नारदा केस में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं CM ममता बनर्जी

नारदा केस में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं, क्योंकि कलकत्ता हाईकोर्ट ने नारद मामले में हलफनामा दायर करने की अनुमति से इनकार कर दिया. मामले की सुनवाई 22 जून को होने की संभावना है.

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Deepak Pandey
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सीएम ममता बनर्जी ( Photo Credit : फाइल फोटो)

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नारदा केस में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं, क्योंकि कलकत्ता हाईकोर्ट ने नारद मामले में हलफनामा दायर करने की अनुमति से इनकार कर दिया. मामले की सुनवाई 22 जून को होने की संभावना है. टीएमसी के चार पूर्व मंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद कोलकाता में उन्हें इस मामले में एक पक्ष बनाया गया था. नारदा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक की अपीलों पर सुनवाई करने के लिए अपनी सहमति व्यक्त कर दी है. 

इससे पहले सीबीआई द्वारा 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन मामले में उनकी भूमिका पर हलफनामा दाखिल किए जाने से कोर्ट ने इनकार कर दिया था. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने अपने आदेश में कहा, प्रतिवादियों की ओर से सॉलिसिटर जनरल (तुषार मेहता) पेश हुए हैं. विशेष अवकाशकालीन याचिकाओं की प्रति उन्हें सौंपी जाए. पक्षकारों के संयुक्त अनुरोध पर 22 जून को मामलों को सूचीबद्ध करें. इस बीच हमें आशा है कि उच्च न्यायालय सोमवार की सुनवाई को बुधवार तक के लिए टाल देगा.

शीर्ष अदालत ने आदेश के खिलाफ राज्य और घटक की अपीलों पर शीर्ष अदालत द्वारा विचार किए जाने के बाद उच्च न्यायालय से मामले पर विचार करने को कहा है. नारद स्टिंग टेप मामले को विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के लिए सीबीआई के आवेदन पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने 9 जून को सुनवाई करते हुए कहा था कि वह बाद में बनर्जी और घटक के हलफनामों पर विचार करेगी.

घटक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा था कि मंत्री कैबिनेट की बैठक में भाग लेने के चलते व्यस्त थीं और सुनवाई के समय वह अदालत परिसर में नहीं थे. उन्होंने जोर देकर कहा कि सीबीआई ने वर्चुअली कोर्ट को संबोधित किया था. आरोप यह है कि तृणमूल नेताओं ने 17 मई को पार्टी के चार नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई को उसकी कानूनी जिम्मेदारी निभाने से रोकने में अहम भूमिका निभाई थी.

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अदालत के समक्ष दलील दी थी कि हलफनामों को देरी के आधार पर स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे उनकी दलीलों के पूरा होने के बाद दायर किए गए थे. उच्च न्यायालय ने 9 जून को बनर्जी और घटक द्वारा दायर हलफनामों पर बाद में विचार करने का फैसला किया था.

Source : News Nation Bureau

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