भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 में गंगा जल संधि हुई थी. इस संधि को लेकर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की सरकार एक बार फिर आमने-सामने आ चुकी है. दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि गंगा जल संधि को रिन्यू करने से पहले पश्चिम बंगाल की सरकार से इस पर कोई विचार नहीं किया गया. वहीं, केंद्र सरकार ने टीएमसी के इन आरोपों को गलत करार दिया है. केंद्र सरकार का कहना है कि भारत और बांग्लादेश की गंगा जल संधि को रिन्यू करने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार से विचार विमर्श किया गया था.
क्या है भारत और बांग्लादेश गंगा जल संधि
आपको बता दें कि 28 साल पहले यानी 1996 में भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा जल संधि 30 सालों के लिए हुई थी. यह संधि साल 2026 में खत्म हो जाएगी. दरअसल, 1975 में इंडिया ने गंगा नदी पर फरक्का बैराज का निर्माण किया था. जिसका बांग्लादेश ने विरोध किया था. जिसके बाद दोनों देशों के बीच पानी को लेकर यह संधि किया गया था. इस संधि का मकसद दोनों देशों के बीच पानी के तनाव को खत्म करना था.उससे पहले भारत सरकार ने बांग्लादेश सरकार के साथ इसे रिन्यू करने के लिए बातचीत की है और इसे लेकर अभी और विचार होने हैं. दरअसल, पीएम मोदी के शपथ समारोह में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत आई थी. इस दौरान दोनों देशों के बीच गंगा जल संधि को रिन्यू कराने को लेकर चर्चा हुई थी और इस पर सहमति बनी थी. इसकी जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय ने दी थी.
गंगा जल संधि को लेकर ममता बनर्जी ने लिखा था पत्र
आपको बता दें कि गंगा जल संधि को लेकर कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था और इसमें संधि को रिन्यू करने की बातचीत को एकतरफा फैसला बताया था. साथ ही पीएम से अनुरोध किया था कि इस तरह की चर्चा से पश्चिम बंगाल को बाहर ना रखा जाए.
HIGHLIGHTS
- एक बार फिर केंद्र सरकार और ममता बनर्जी आमने-सामने
- ममता बनर्जी ने गंगा जल संधि को लेकर लगाया आरोप
- केंद्र सरकार ने आरोपों को बताया गलत
Source : News Nation Bureau