पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व महासचिव पार्थ चटर्जी ने शनिवार को कहा कि वह अब भी पार्टी के साथ हैं. पार्टी से निलंबित होने और सभी मंत्री और पार्टी पदों से मुक्त होने के बावजूद बयान ने राजनीतिक हलकों में कई अटकलों को जन्म दिया है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि यह टिप्पणी और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पहली बार है जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद से चटर्जी ने पार्टी के बारे में अपना रुख नरम किया है. पहले उन्होंने कहा था कि वह वह साजिश का शिकार हो गए हैं.
जब चटर्जी प्रेसीडेंसी केंद्रीय सुधार गृह में शनिवार को असहज महसूस करने लगे तो उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए राजकीय एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया. मेडिकल चेकअप के बाद जब वह अस्पताल से बाहर आ रहे थे तो वे इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों के सामने रुक गए. जाने से पहले पार्थ चटर्जी ने कहा कि मैं ठीक नहीं हूं, लेकिन मैं स्वस्थ रहने की कोशिश कर रहा हूं. मैं तृणमूल कांग्रेस के साथ हूं और आगे भी रहूंगा.
राजनीतिक विश्लेषक उनके बयानों की दो तरह से व्याख्या करते हैं. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अरुंधति मुखर्जी ने कहा कि पहली संभावना यह है कि उन्होंने पार्टी को यह संकेत देने की कोशिश की है कि तृणमूल कांग्रेस की उदासीनता के बावजूद पार्टी के प्रति उनकी वफादारी अभी भी बरकरार है और पार्टी नेतृत्व को उनके बारे में नरम रुख अपनाना चाहिए. इस बात की भी संभावना है कि उनके इरादा आम पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कुछ सहानुभूति पैदा करना था.
बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने कहा कि पार्टी ने पार्थ चटर्जी के बारे में अपने फैसले से अवगत करा दिया है. उन्होंने कहा कि अब वह जो कुछ भी कहते हैं वह उनकी निजी राय है. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी सांसद दिलीप घोष ने कहा कि पार्थ चटर्जी कह सकते हैं कि वह तृणमूल कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व उन्हें पार्टी में मानता है. घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसियां अब उनके साथ हैं.
माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस में निलंबन हमेशा एक मामूली मामला है. उन्होंने कहा कि अतीत में हमने कई बार देखा है कि एक निलंबित नेता पार्टी में वापस आया और यहां तक कि पदोन्नत भी हो गया. शायद, पार्थ चटर्जी को भी कुछ ऐसी ही उम्मीदें हैं.
Source : IANS