बोगतुई नरसंहार मामले के मुख्य आरोपी ललन शेख की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हुई रहस्यमयी मौत की न्यायिक जांच की मांग को लेकर मंगलवार सुबह कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई. कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष दायर याचिका में, याचिकाकर्ता बदरुल करीम, जो पेशे से एक वकील हैं, ने कलकत्ता हाईकोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा मामले की जांच की अपील की है.
खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया है और मामले की सुनवाई चल रहे सप्ताह के दौरान किसी भी दिन हो सकती है. इस बीच, सीबीआई ने खुद मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके, कि उनकी हिरासत में शेख की मौत किन परिस्थितियों में हुई. सूत्रों ने कहा कि एक विस्तृत रिपोर्ट नई दिल्ली स्थित एजेंसी के मुख्यालय को भेज दी गई है.
संभावना है कि एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में सीबीआई अधिकारियों की एक अलग टीम यह आंतरिक जांच कर सकती है. इस मामले में, बीरभूम जिले में सीबीआई के रामपुरहाट शिविर के प्रभारी अधिकारियों से पूछताछ की जा सकती है. उक्त कैंप में तैनात केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मियों से भी इस संबंध में पूछताछ की जा सकती है.
बता दें, एजेंसी के मुख्यालय ने पहले ही रामपुरहाट कैंप कार्यालय में मौजूद सीबीआई और केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की सूची मांगी है. इस बीच, ललन शेख की भतीजी बुलटी खातून के नेतृत्व में बागतुई गांव, जहां इस साल 21 मार्च को नरसंहार हुआ था, के ग्रामीणों के एक समूह ने सोमवार सुबह पास के राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया और रामपुरहाट कैंप में तैनात सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की.
उन्होंने सीबीआई की हिरासत में अन्य लोगों के लिए भी तत्काल जमानत की मांग की और आशंका व्यक्त की, कि ललन शेख की तरह उनका भी हश्र हो सकता है. करीब एक घंटे तक जाम लगा रहा और स्थानीय पुलिस के हस्तक्षेप के बाद इसे हटा लिया गया.
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Source : IANS