West Bengal News: आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना ने बंगाल में सियासी टकराव को और गहरा कर दिया है. इस घटना के बाद राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को संविधान के अनुच्छेद 167(सी) का पालन करने का आग्रह किया है, जो मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी को राज्यपाल के प्रति स्पष्ट करता है.
राज्यपाल ने उठाए कानून-व्यवस्था पर सवाल
आपको बता दें कि राजभवन से आई इस कड़ी प्रतिक्रिया में राज्य सरकार की कार्यशैली और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. महिला डॉक्टर की निर्मम हत्या और दुष्कर्म की घटना ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर फिर से बहस छेड़ दी है. राज्यपाल ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपेक्षा की है कि वे संविधान के अनुच्छेद 167(सी) के तहत अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करें.
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क्या है संविधान का अनुच्छेद 167(सी)?
वहीं आपको बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 167(सी) मुख्यमंत्री की यह जिम्मेदारी निर्धारित करता है कि वे राज्यपाल को राज्य प्रशासन और विधायी प्रस्तावों से संबंधित कैबिनेट के सभी निर्णयों से अवगत कराएं. यह अनुच्छेद राज्यपाल को राज्य के प्रशासनिक कार्यों और कानून-व्यवस्था से संबंधित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है. राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने इसी अनुच्छेद का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे कानून-व्यवस्था पर उत्पन्न संकट को देखते हुए इस प्रावधान का अनुपालन करें.
घटना से उपजा सियासी संघर्ष
आपको बता दें कि महिला डॉक्टर की इस दर्दनाक हत्या ने पश्चिम बंगाल में ममता सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप है कि उनकी सरकार पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नियंत्रित करने में विफल रही है. दूसरी तरफ, राज्यपाल डॉ. बोस का यह कहना है कि राज्य सरकार को इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और राज्यपाल को सही समय पर सूचित करना चाहिए.
इसके अलावा आपको बता दें कि राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच यह टकराव सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि राज्य की सियासत का एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. इस घटना से जुड़े मामले में जहां एक ओर पीड़ित के परिवार को न्याय की मांग हो रही है, वहीं दूसरी ओर सियासी संघर्ष ने इसे एक संवेदनशील मामला बना दिया है.