बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की SIT जांच को लेकर SC का केंद्र और ममता सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारणों की जांच के लिए SIT की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
Supreme Court

बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की SIT जांच को लेकर SC ने भेजा नोटिस( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारणों की जांच के लिए SIT की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. बंगाल में विधानभा चुनाव के नतीजों के बाद तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद हुई हिंसा के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें जांच कोर्ट की निगरानी में SIT से कराने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

यह भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी ने छात्रों को दिया स्टूडेंट्स क्रेडिट कार्ड का गिफ्ट, जानिए फायदे 

दरअसल, याचिका में कहा गया कि विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करने के चलते एक धर्म विशेष के लोग वहां रहने वाले हिंदू समुदाय पर हमला कर रहे हैं. याचिका में कोर्ट से केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई कि वो पीड़ित परिवारों को मुआवजा और पलायन कर चुके लोगों के पुर्नवास की व्यवस्था करें. आज इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, ममता सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.

चुनाव बाद हिंसा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में ऐसे समय में सुनवाई हुई है, जब बीते दिन इसी मसले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम ने कोलकाता हाईकोर्ट की 5 न्यायाधीशों की पीठ को रिपोर्ट सौंपी. एनएचआरसी इस मामले में अपनी विस्तृत रिपोर्ट कुछ दिनों के बाद दाखिल करेगी. मामले में शुक्रवार को अगली सुनवाई होनी है. बता दें कि बंगाल में विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद कई हिस्सों में हिंसा देखने को मिली थी. बीजेपी ने ममता सरकार के खिलाफ आरोप लगाए कि उसके समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है. यह भी आरोप लगाए गए कि पार्टी का समर्थन करने के लिए 30 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई है और महिलाओं के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ की गई है.

मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर एनएचआरसी ने टीम गठित की थी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य राजुलबेन एल देसाई, एनएचआरसी के निदेशक जांच संतोष मेहरा और डीआईजी, जांच मंजिल सैनी, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पांजा और पश्चिम बंगाल राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण सदस्य सचिव राजू मुखर्जी भी शामिल हैं.

यह भी पढ़ें : PM मोदी बोले- डिजिटल तकनीक से राह आसान हुई, भ्रष्टाचार पर भी चोट

इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी एक रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंप दी थी, जिसमें हिंसा को पूर्व नियोजित बताया गया. इस कमेटी में पूर्व न्यायधीश, पूर्व डीजीपी, नौकरशाहों आदि शामिल हैं. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि बंगाल विधान चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद यानी 2 मई की रात से राज्य के अलग अलग शहरों और गांवों में हिंसा रिपोर्ट की गई. जिससे ये पता चलता है की ये हिंसा पहले से सुनियोजित थी और इसे प्लान किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य के बड़े माफिया और क्रिमनल जिनके खिलाफ बंगाल में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. उन्होंने इस काम को अंजाम दिया जिससे ये साबित होता है कि ये एक राजनीतिक बदला लेने का प्रयास था. 

Supreme Court West Bengal west bengal violence Bengal post poll violence
Advertisment
Advertisment
Advertisment