एनडीए सरकार (NDA Government) के दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ पर बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए शिवसेना (Shiv Sena) ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सक्षम’ नेता हैं लेकिन 2016 की नोटबंदी और लॉकडाउन के दौरान जिन्होंने नाहक प्राण गंवाए उन्हें कैसे जीवित किया जाएगा. शिवसेना ने कहा कि गलत तरीके से किया गया लॉकडाउन और प्रवासी श्रमिकों के मामले 1947 की आजादी के दौरान शरणार्थियों की याद दिलाते हैं.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में संपादकीय में कहा है , ‘मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं ये देश का भाग्य है. वह देश और यहां के मुद्दों को समझते हैं. वह सक्षम नेता हैं और कोई भी ऐसा नेता नहीं है जो उनके सामने टिक सके.’ इसमें कहा गया है कि मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर कुछ अच्छे फैसले किए हैं लेकिन 60 साल में जिस तरह कुछ गलतियां हुई, उसी तरह (एनडीए सरकार के) छह साल में भी गलतियां हुई.
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लॉकडाउन को लेकर नहीं बनाई गई कोई योजना
महाराष्ट्र में शिवेसना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में कांग्रेस भी शामिल है. सामना में कहा गया, ‘जिस तरीके से देश में लॉकडाउन (Lockdown) लागू किया गया और गरीब प्रवासी मजदूरों को दिक्कतें हुई उससे आजादी के समय की याद आ गयी.’
शिवसेना ने पूछा, ‘इन गलतियों को कौन ठीक करेगा ? भारत का सौभाग्य है कि मोदी देश के नेता हैं लेकिन लॉकडाउन और नोटबंदी के दौरान जिन्होंने नाहक अपने प्राण गंवाए उन्हें किस अमृत से जीवित किया जाएगा?’
'बीजेपी की मानें तो हमारे देश का इतिहास पांच छह साल का है बस'
शिवसेना ने भाजपा के उन नेताओं पर भी कटाक्ष किया जिन्होंने कहा है कि देश में राजग सरकार के छह साल में जो काम हुआ वैसा पहले कभी नहीं हुआ. संपादकीय में कहा गया, ‘अगर भाजपा के नेताओं की मानें तो हमारे देश का इतिहास केवल छह-सात वर्षों का है. ऐसा लगता है कि इससे पहले यह देश नहीं था. कोई स्वतंत्रता संग्राम नहीं था, तब का संघर्ष और बलिदान केवल भ्रम था. देश की सामाजिक, वैज्ञानिक, चिकित्सा, औद्योगिक क्रांति आदि सभी झूठ हैं.’
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'ये सही है कि मोदी सरकार ने कई गलतियों को सुधारा है लेकिन...'
हालांकि, शिवसेना ने कहा कि मोदी ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म कर, एक बार में तीन तलाक की प्रथा हटा कर और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू कराकर पूर्व की कुछ गलतियों को ठीक किया. शिवसेना ने आगे कहा कि हालांकि वीर सावरकर का अपमान करने की गलती पिछले साठ वर्षों में जरूर हुई. लेकिन, इस गलती को सुधारने के लिए सावरकर को भारत रत्न देने का फैसला पिछले छह वर्षों में क्यों नहीं हुआ. छह साल में जो कुछ हुआ वो दुनिया के सामने है. संपादकीय में आगे कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बावजूद तनाव खत्म नहीं हो रहा है . इसमें कहा गया, ‘भारत-चीन सीमा पर भी दिक्कत शुरू हो गयी. नेपाल जैसे देश भी हमारी जमीन पर दावा कर रहा है . यह आत्मनिर्भर और मजबूत भारत का संकेत नहीं है.'
Source : Bhasha