सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एल नागेश्वर ने सारदा चिट फंड घोटले से खुद को अलग कर लिया. उनका कहना है कि वह इस मामले में राज्य की ओर से वकील के रूप में पेश हुए थे, इसलिए वह इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते हैं. एक दिन पहले पश्चिमी बंगाल के चीफ सेक्रेटरी मलय डे, डीजीपी वीरेन्द्र कुमार, कोलकाता के कमिश्नर राजीव कुमार ने अवमानना नोटिस के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया. तीनों ने कोर्ट से बिना शर्त माफी की मांग की. सुप्रीम कोर्ट कल ही तय करेगा कि इन तीनों अधिकारियों को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की ज़रूरत है या नहीं. सीबीआई ने तीनों की सीबीआई जांच में अड़ंगा डालने के आरोप में अवमानना का मुकदमा चलाए जाने की मांग की थी.
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गौरतलब है कि 2006 में सारदा ग्रुप की स्थापना हुई थी. सारदा ग्रुप के प्रमुख सुदीप्त सेन ने चिट फंड और विभिन्न सामूहिक निवेश योजनाओं के जरिए 3,500 करोड़ रुपये 17 लाख निवेशकों से जुटाए. ये निवेशक पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड और ओडिशा से थे. अप्रैल 2013 में सारदा ग्रुप बर्बाद हो गया था. समूह ने अपना ब्रैंड मीडिया और सीएसआर (कॉरपोरेश सोशल रिस्पांसबिलिटी) परियोजनाओं के जरिए बनाया था. समूह के राजनेताओं के साथ करीबी संबंध थे. आयकर और प्रवर्तन निदेशालय ने घोटाले और दूसरे पोंजी योजनाओं के खिलाफ जांच शुरू की. साल 2013 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजीव कुमार की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने सारदा चिट फंड घोटले में कथित असहयोग के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी और कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के लिए खुद को अलग कर लिया. उन्होंने कहा कि वह वकील के रूप में राज्य के लिए पेश हुए थे. इसलिए इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते हैं.
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बता दें कि सारदा चिट फंड घोटाले मामले में कोलकाता हाई कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि नलिनी चिदंबरम को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. 6 हफ्ते बाद इस मामले की अगली सुनवाई होगी. पूर्व वित्त मंत्री की पत्नी ने कोलकाता हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी. सीबीआई ने 11 जनवरी को इस मामले में कोर्ट में चार्जशीट दायर की ही. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. पोंज़ी स्कैम में नलिनी का नाम सामने आने के बाद सीबीआई ने छठी पूरक चार्ज शीट दायर की थी. प्रवर्तन निदेशालय ने 7 सितंबर, 2016 को नलिनी को समन जारी किया था, क्योंकि उनके नाम का जिक्र सारदा घोटाले के मास्टरमाइंड सुदीप्त सेन के सीबीआई को अप्रैल 2013 में लिखे पत्र में किया गया था. आरोप है कि शारदा समूह द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नलिनी चिदंबरम को टेलीविजन चैनल खरीद सौदे से जुड़े मामले में अदालत और कंपनी कानून बोर्ड में उपस्थित होने के लिए एक करोड़ रुपये दिया गया था.
Source : News Nation Bureau