पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में भ्रष्टाचार का एक और नया आयाम सामने आया है. 2016 में शिक्षक भर्ती परीक्षा की उत्तर पुस्तिका में अपना रोल नंबर गलत लिखने के बावजूद एक उम्मीदवार को सरकारी स्कूल में 9वीं और 10वीं कक्षा को पढ़ाने के लिए नियुक्त कर लिया गया. यह खुलासा चौंकाने वाला है, क्योंकि नियमों के मुताबिक, अगर संबंधित उम्मीदवार अपना रोल नंबर गलत लिखता है, भले ही उसने शत-प्रतिशत सही उत्तर दिया हो, फिर भी उत्तर पुस्तिका को रद्द कर दिया जाता है.
सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के एक आदेश के बाद पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा प्रकाशित 40 अवैध रूप से भर्ती उम्मीदवारों की नई सूची में 31वें स्थान पर एक प्राप्ति चौधरी का नाम है. जिसका वास्तविक रोल नंबर: 22211675003414 है. लेकिन उसने अपने ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट में अपना रोल नंबर 22211675003114 लिखा था.
ओएमआर शीट में इस गलती के बावजूद, प्राप्ति चौधरी को नियुक्ति मिल गई और राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, वह पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज में गयालाल हाई स्कूल में पिछले चार वर्षों से 9वीं और 10वीं कक्षा में बंगाली शिक्षिका के रूप में कार्यरत रही.
हालांकि, राज्य के शिक्षा विभाग के सूत्रों ने कहा कि आखिरी बार प्राप्ति चौधरी 5 दिसंबर, 2022 को देर शाम स्कूल में आई थीं, जिस दिन डब्ल्यूबीएसएससी ने अवैध रूप से भर्ती किए गए 40 शिक्षकों की नई सूची अपलोड की थी. स्कूल के अधिकारियों को भी इस मामले में आगे की कार्रवाई के बारे में डब्ल्यूबीएसएससी से कोई सूचना नहीं मिली है.
डब्ल्यूबीएसएससी द्वारा इस सप्ताह प्रकाशित 40 अवैध रूप से भर्ती उम्मीदवारों की नई सूची 2 दिसंबर को आयोग द्वारा प्रकाशित 183 गलत रूप से अनुशंसित उम्मीदवारों की पिछली सूची के अतिरिक्त थी. इस सप्ताह प्रकाशित 40 अवैध रूप से भर्ती उम्मीदवारों की नई सूची आयोग द्वारा 2 दिसंबर को प्रकाशित की गई. शिक्षकों के रूप में नियुक्त होने या नियुक्ति के लिए अनुशंसित होने के बावजूद, संबंधित उम्मीदवारों ने एक मल्टीपल चॉइस सवालों का प्रयास नहीं किया और केवल कुछ प्रश्नों का ही उत्तर दिया. इन 40 स्कैन की गई ओएमआर शीट की कॉपी में से एक प्राप्ति चौधरी की थी, जिसमें उनके रोल नंबर गलत लिखने के तथ्य को उजागर किया गया था.
राज्य शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, इसमें कोई हैरानी नहीं है, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने माना कि इस तरह की जोड़तोड़ में निश्चित रूप से आयोग के कुछ लोग भी शामिल रहे है.
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Source : IANS