पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस महामारी के बीच कई प्रार्थना स्थलों ने अपने दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये हैं लेकिन तारापीठ मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि सदियों पुराने इस मंदिर के प्रशासन ने राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को देखते हुए श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की है.
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राज्य सरकार ने एक जून से कड़े एहतियात के साथ सभी प्रार्थना स्थलों के दरवाजे खोले जाने की मंजूरी दी थी लेकिन तारापीठ ने तब घोषणा की थी कि इस मंदिर का दरवाजा 15 जून से खुलेगा। मंदिर समिति के सचिव तारामोय मुखर्जी ने कहा, ‘‘ हमने सोमवार से भी दरवाजे नहीं खोलने का निर्णय लिया है. हम कुछ और दिन पूरी स्थिति पर निगरानी रखेंगे. राज्य और देश में संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए मौजूदा स्थिति मंदिर खोलने के लिए संतोषजनक है।’’ केंद्रीय मंत्रालय ने बताया कि सोमवार को भारत में लगातार तीसरे दिन एक दिन में रिकॉर्ड 11,000 से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आए और कुल संक्रमितों की संख्या 3.32 लाख के पार चली गई.
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वहीं 325 मौतों के साथ मृतकों का आंकड़ा 9,520 हो गया। बुलेटिन के अनुसार पश्चिम बंगाल में रविवार को 389 ताजा मामले सामने आए हैं और संक्रमितों की संख्या राज्य में 11,087 हो गई है। तारापीठ मंदिर बीरभूम जिले में एक शक्ति पीठ है. यहां देश के विभिन्न हिस्सों से रोजाना हजारों लोग आते हैं। यह मंदिर मार्च में लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही बंद है. मुखर्जी ने बताया कि मंदिर प्रशासन प्रधानमंत्री मुख्यमंत्रियों के साथ नरेंद्र मोदी की बैठक में होने वाले फैसले की राह देख रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्रियों के साथ 16 और 17 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत करेंगे। वहीं राज्य का प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर काली मंदिर के दरवाजे सभी जरूरी एहतियात के साथ खुल चुके है जबकि कालीघाट मंदिर के दरवाजे अब भी बंद हैं.