पश्चिम बंगाल (West Bengal) के नारद स्टिंग केस (Narada Sting Case) में फंसे ममता बनर्जी सरकार (Mamata Banerjee Government) के दो मंत्री और एक विधायक को कलकत्ता हाई कोर्ट (Kolkata High Court) से तगड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने सभी को जमानत देने से इंकार कर दिया है. आज हुई सुनवाई में कलकत्ता हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों वाली पीठ का मत विभाजित हो गया. न्यायाधीशों में से एक अरिजीत बनर्जी जमानत देने के लिए तैयार हैं जबकि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नारद मामले में नजरबंद के पक्ष में हैं. इसलिए टीएमसी नेताओं की जमानत याचिका पर कोई फैसला नहीं हो सका है. अब इस मामले को बड़ी बेंच के सामने भेजा जाएगा. तब तक सभी नेता नजरबंद ही रहेंगे.
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बता दें कि इस मामले में ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है. सभी आरोपियों को अभी हाउस अरेस्ट यानी नजरबंद रखा गया है. हाई कोर्ट में जमानत याचिका पर फैसला नहीं हो पाने के कारण अभी सभी को नजरबंद ही रहना होगा.
हालांकि टीएमसी नेताओं की ओर से दलील रख रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने हाउस अरेस्ट पर स्टे की मांग की है. इस बीच चारों नेताओं की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाले बेंच में एक जज जस्टिस अरिजीत बनर्जी ने अंतरिम जमानत देने पर रजामंदी दी थी, लेकिन कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने हाउस अरेस्ट का आदेश दिया है. कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने कहा कि अंतरिम जमानत का मामला बड़ी बेंच को जाएगा.
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कोर्ट में सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और टीएमसी नेताओं का पक्ष रखने के लिए कांग्रेस नेता और सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी, वकील सिद्धार्थ लूथरा और वकील जनरल किशोर दत्ता पेश हुए थे. आज की सुनवाई में कलकत्ता हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि गिरफ्तार किए गए चारों टीएमसी नेताओं को हाउस अरेस्ट में रखा जाए और उन्हें सभी चिकित्सा सुविधाएं दी जाएं.
HIGHLIGHTS
- अभी हाउस अरेस्ट में रखे जाएंगे सभी नेता
- अब बड़ी बेंच को भेजी जाएगी जमानत याचिका