पश्चिम बंगाल सरकार को ना केवल राज्यपाल जगदीप धनखड़ कटघरे में खड़ा किया है बल्कि वेस्ट बंगाल मानवाधिकार आयोग ने भी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने 12 पन्नों का लेटर लिख ममता सरकार के कामों का खुलासा किया है. उन्होंने अपने पत्रों में लिखा है कि कैसे उन्हें स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया जा रहा है. साथ ही उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें ना केवल मानवाधिकार आयोग अपवाद है बल्कि टीएमसी के अंतर्गत पूरा सिस्टम घुटन महसूस कर रहा है. वेस्ट बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी.सी.गुप्ता ने ममता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें काम नहीं करने नहीं दिया जा रहा है.
उन्होंने अपने पत्र में 21 दिसंबर 2016 की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि तीन बहनों ने आयोग में शिकायत की थी. इस मामले में आयोग ने काम करना चाहा तो उसे रोक दिया गया. आदेश जारी कर याचिका को खारिज कर दिया. उन्होंने 12 पन्नों में कई गंभीर आरोप लगाए हैं कि किस तरह से ममता सरकार ने आयोग को अपने कब्जे में ले लिया है. उन्हें स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया जा रहा है. लोगों के हितों की अनदेखी की जा रही है.
वहीं कुछ दिन पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा था कि राज्य का मानवाधिकार आयोग मरणासन्न स्थिति में है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग अधिकारों की रक्षा करने के बजाय मरणासन्न है. धनखड़ ने कहा कि सबको पता है कि कैसे यहां विरोधियों को डराया और हिरासत में रखा जाता है. उन्होंने कहा, राजभवन सहित सभी संस्थानों को खत्म करने के प्रयासों की कोई गिनती नहीं. सत्ता के गलियारे को पवित्र करने की जरूरत है. वहीं इसके बाद मानवाधिकार आयोग ने अब सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
Source : News Nation Bureau