तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने मंगलवार को करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले में जमानत के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया. गौरतलब है कि मंडल मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे हैं. सीबीआई के वकील की आपत्ति के बाद पश्चिम बर्दवान जिले के आसनसोल में एजेंसी की विशेष अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है. ईडी मंडल को नई दिल्ली मुख्यालय में पूछताछ के लिए ले जाने का प्रयास कर रही है. एजेंसी पहले ही नई दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट में मंडल की ट्रांजिट रिमांड के लिए एक याचिका दायर कर चुकी है. जिसे मंडल के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. इस मामले की सुनवाई एक दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट में होगी.
इस बीच उनके वकील ने अंतरिम उपाय के रूप में कलकत्ता उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की. दरअसल, 25 नवंबर को आसनसोल स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में मंडल के वकील सोमनाथ चटराज ने जमानत याचिका दायर नहीं की तो सभी हैरान रह गए. चटराज ने मीडियाकर्मियों को इस मामले में उच्च न्यायालय में जाने की संभावना के बारे में बताया था. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि राज्य में अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की पृष्ठभूमि में इस मौके पर जमानत मिलना न केवल मंडल के लिए बल्कि उनकी अपनी पार्टी के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हो गया है.
एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने बताया, अनुब्रत मंडल की अनुपस्थिति में राज्य के सत्तारूढ़ दल के संगठनात्मक ढांचे को बीरभूम जिले में चोट लगी है, जहां सत्तारूढ़ दल ने 2018 में पिछले ग्रामीण निकाय चुनावों में लगभग सभी सीटों पर कब्जा कर लिया था, जिसका पूरा श्रेय मंडल को जाता है. इसीलिए मंडल को वहां पार्टी के जिला अध्यक्ष के रूप में बनाए रखा गया है.
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Source : IANS