लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिम बंगाल में 18 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद बीजेपी 'दीदी' के किले को ध्वस्त करने में जुट गई है. बंगाल में हो रही पार्टी कार्यकर्ता की हत्या, डॉक्टरों का हड़ताल और 'राम' नाम सहित कई मामलों पर बीजेपी ममता सरकार को लगातार घेर रही है. चुनाव के समय से ही राज्य में बीजेपी और टीएमसी के बीच संग्राम जारी है, जो कि फिलहाल थमने की उम्मीद नहीं दिख रही है.
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बता दें कि मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के बोंगांव से विधायक बिस्वजीत दास समेत पार्टी के 12 पार्षद बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय और मुकुल रॉय की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए है. हालांकि इस पर ममता ने कहा था कि वह परेशान नहीं हैं.
गौरतलब हैं कि इससे पहले सोमवार को नौपाड़ा से टीएमसी विधायक सुनील सिंह समेत पार्टी के 12 पार्षदों ने बीजेपी की सदस्यता ली थी. इसके अलावा अभी कुछ ही दिनों के पहले की बात है जब दार्जिलिंग नगर निगम के 30 में से 17 पार्षद भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया था कि जिस तरीके से पश्चिम बंगाल में 7 चरणों में चुनाव हुए उसी तरीके से यहां 7 चरणों में लोगों को पार्टी में शामिल करवाएंगे. विजयवर्गीय के अनुसार ये सभी विधायक ममता की तानाशाही से तंग आकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं.
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लोकसभा चुनाव के बाद से पश्चिम बंगाल में कई विधायकों सहित 50 से ज्यादा पार्षद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं. 2016 में पश्चिम बंगाल में 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटों पर जीत मिली थी जबकि भारतीय जनता पार्टी को महज तीन सीटों पर कामयाबी हासिल हुई थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने के बाद बीजेपी पश्चिम बंगाल में लगातार मजबूत होते हुए राज्य में सत्ताधारी पार्टी टीएमसी की प्रमुख प्रतिद्वंदी बन गई है.