सेक्स वर्कर ने कोलकाता में दुर्गा विसर्जन से पहले देवी बोरोन,सिंदूर खेला और धुनुची नृत्य किया. नवरात्रि शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की पूजा का सबसे पावन समय है. नौ दिनों तक पूरे देश में दुर्गा पूजा बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. लेकिन पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की भव्यता देखने लायक होती है. यहां जगह-जगह पर दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और उत्सव की तरह इस त्योहार का आनंद लिया जाता है. कोलकाता में दुर्गा पूजा से सेक्स वर्करों का जुड़ाव बहुत गहरा है. दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान जो दुर्गा की मूर्ति बनाई जाती है उसकी मिट्टी सेक्स वर्कर वाले इलाके सोनागाछी से लाई जाती है.
मान्यता के अनुसार एक वेश्यालय के आंगन से लाई गई मिट्टी को दुर्गा पूजा के लिए शुभ माना जाता है. वैसे तो सोनागाछी काफी बदनाम इलाका है, लेकिन यहां के सेक्सकर्मियों के लिए खासतौर पर कोलकाता में एक दुर्गापूजा पंडाल सजाया जाता है. हमारे समाज में सेक्सवर्करों को न तो सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और न ही उन्हें किसी प्रकार के कार्यक्रम में शामिल किया जाता है. कोलकाता का सोनागाछी इलाका एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट इलाका माना जाता है जहां लगभग 10,000 सेक्स वर्कर काम करती हैं.
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बंगाल में दुर्गा पूजा की शुरूआत और विसर्जन दोनों किसी न किसी रूप में सेक्स वर्करों से जुड़ा है. बंगाल की संस्कृति में दुर्गा पूजा और काली पूजा का बहुत महत्व है. समाज का हर वर्ग नवरात्रि में बड़ी श्रद्धा और उत्साह से पूजा में भाग लेता है. यह बंगाल की संस्कृति की ही देन है कि समाज में सबसे उपेक्षित वर्ग यानि वेश्याओं को भी किसी न किसी रूप में जोड़ा गया है.