Loan Pre-Payment Charges: आजकल शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसकी जिंदगी बिना लोन पर चल रही हो. क्योंकि बैकों के ऑफर्स और आधुनिक युग में लोन एक जरूरत की चीज बन गई है.लेकिन लोन के नाम पर बैंक और एनबीएफसी कंपनी तमाम तरह के चार्जेज वसूलती हैं. जिसके चलते लोने लेने वाले को ब्याज तो देना ही होता है. उसके साथ यदि ग्राहक समय से पहले ही लोन जमा करता है तो उसे तमाम तरह की पैनल्टी भरनी होती है. जैसे प्री क्लोजर चार्ज इत्यादि, आज के बात कोई भी बैंक या एनबीएफसी कंपनी इस तरह के चार्ज नहीं वसूल सकेगी. क्योंकि आरबीआई गवर्नर ने साफ कर दिया है कि किसी से भी चार्ज न वसूला जाए ...
यह भी पढ़ें : सरकार का बड़ा फैसला! 200 के इतने करोड़ नोटों को बाजार से किया आउट, लोगों में डर का माहौल
फोरक्लोजर चार्जेज वसूलने पर रोक
आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग में ये फैसला लिया गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि, पिछले कई वर्षों में रिजर्व बैंक ने कस्टमर्स के हितों की रक्षा करने के लिए कई कदम उठाये हैं. इसी के तहत बिजनेस को छोड़कर इंडीविजुअल्स कैटगरी के तहत कर्ज लेने वाले जो फ्लोटिंग रेट वाले टर्म लोन लेते हैं उनसे लोन को बंद करने पर बैंक या एनबीएफसी को फोरक्लोजर चार्जेज या प्री-पेमेंट पेनल्टी वसूलने की इजाजत नहीं है.
क्या होता है फ्लोटिंग रेट वाले लोन?
आपको बता दें कि बैंक दो प्रकार से लोन की ब्याज दरें तय करते हैं. एक फ्लोटिंग रेट वाला लोन होता और तो दूसरा फिक्स्ड रेट वाला लोन. जानकारी के मुताबिक फ्लोटिंग रेट वाला लोन बेंचमार्क रेट पर आधारित होता है. जब भी ब्याज दरें बढाई जाती हैं तो सबसे पहले फ्लोटिंग रेट वाले लोन की ईएमआई बढ़ जाती है. अगर आरबीआई कटौती करता है तो बैंक लोन पर ब्याज दरों को घटा देते हैं. लेकिन फिक्स्ड रेट वाला लोन के ब्याज दर स्थिर होते हैं. लोन लेते समय जो ब्याज दरें तय हो जाती है वो लोन के खत्म होने तक वह रहती है.