बिहार में 20 अगस्त 2024 से जमीन का सर्वे शुरू हो चुका है. इसे लेकर लोगों के मन में कई प्रकार के सवाल हैं. जैसे- आपको कौन सा फॉर्म भरना है, कौन से कागजों की जरूरी हैं, सर्व टीम क्या जांच करेगी. इसके अलावा, लोगों को सबसे बड़ा डर है कब्जे का, उन्हें डर है कि कहीं किसी गलती के वजह से उनकी जमीन पर कब्जा न हो जाए. आज न्यूज नेशन आपको बताएगा कि अगर आपके पास कागज नहीं हैं तो जमीन पर मालिकाना अधिकार किसका होगा.
पहली बात, अगर सरकारी जमीन पर किसी का कब्जा है तो सरकार उसे अपने कब्जे में ले लेगी. हालांकि, अगर किसी के पास जमीन के कागज नहीं हैं तो उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि कागजात बनवाए जा सकते हैं. आसपास के लोगों की जमीन की चौहद्दी से आप अपनी जमीन के कागजात बनवा सकते हैं. चौहद्दी एक तरह का नक्शा है, जो आसापस की जमीन को आपकी जमीन से अलग करता है. चौहद्दी से पता चलेगा कि आपका कितनी जमीन पर कब्जा है.
अगर कोई वारिस नहीं है…कानून क्या बोलता है
अंग्रेजों का एक कानून है- प्रतिकूल कब्जा. इसे एडवर्स पजेशन भी कहते हैं. इसके तहत लगातार 12 साल किसी जमीन पर आपका कब्जा है तो आप उस जमीन पर मालिकाना हक दायर कर सकते हैं. बस शर्त है कि 12 साल के कब्जे तक किसी और ने उस पर दावा न किया हो. न ही 12 साल की उस अवधि में किसी प्रकार की कोई रोकटोक हो. मामले में सुप्रीम कोर्ट का भी एक फैसला है, जिसमें अदालत ने कहा था कि 12 साल तक जिसने जमीन पर कब्जा किया है, वही जमीन का मालिक होगा.
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि भारतीय कानून एक व्यक्ति को कुल 12 साल तक किसी जमीन पर अपना हक जताने का अधिकार देता है. अगर जमीन विवादित है तो आपत्तिकर्ता उस पर अपना अधिकार जता सकता है और 12 साल के अंदर अदालत में केस दायर कर सकता है. अदालत में अगर वह व्यक्ति अपना हक साबित कर देता है तो उस उसकी जमीन मिल सकती है. हालांकि, अदालत का यह फैसला निजी जमीन के लिए है. सरकारी जमीन पर यह फैसला लागू नहीं होता.