Bulldozer Action Rules: भारत के कई राज्यों में अगर कोई मकान अवैध पाया जाता है, तो प्रशासन उस पर बुलडोजर चला देता है. आपने भी सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो देखे होंगे जहां बिना किसी रोक-टोक के मकान गिरा दिए जाते हैं. मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त आदेश जारी किया है और कहा है कि इस तरह की कार्रवाई कानून के खिलाफ है.
15 दिन पहले नोटिस देना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि किसी भी मकान को गिराने से पहले 15 दिन का नोटिस देना जरूरी है. कई बार अपराधियों या उनके परिवारों के मकानों पर बुलडोजर चलाने की घटनाएं होती रही हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत बताया है. कोर्ट का कहना है कि प्रशासन खुद जज बनकर किसी का घर नहीं गिरा सकता. केवल कोर्ट ही इस तरह का फैसला ले सकती है, और प्रशासन को कानून अपने हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है.
मकान गिराने की वजह नोटिस में बताना जरूरी
अगर किसी का मकान गिराना है, तो प्रशासन को पहले उस मकान के मालिक को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए 15 दिन पहले नोटिस भेजना होगा और नोटिस मकान के बाहर चिपकाना भी पड़ेगा. इस नोटिस में यह साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि मकान क्यों अवैध है, कौन से कानून का उल्लंघन हुआ है, और मकान गिराने की वजह क्या है. इसके अलावा, प्रशासन को पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी करनी होगी ताकि हर चीज का सबूत रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर प्रशासन इन नियमों का पालन नहीं करता, तो इसे कोर्ट का तिरस्कार माना जाएगा. मतलब, बिना नोटिस, वीडियोग्राफी या सही कारण बताए बिना किसी का मकान नहीं गिराया जा सकता.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मकसद लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करना है. किसी का भी घर बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं गिराया जा सकता, क्योंकि घर सबके लिए जरूरी है और इसे बचाने का अधिकार सबके पास है.
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