Petrol and Diesel Price Down: अंतरराष्ट्रीय बाजार से भारत के लिए अच्छी खबर आई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट दर्ज की गई है.कच्चे तेल के दाम घटकर 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ पहुंचा है. दिसंबर 2023 के बाद पहली बार है कि कच्चे तेल के दामों इतनी गिरावट दर्ज की गई है. यानी 9 महीनों में कच्चे तेल के दाम सबसे निचला स्तर पर है. कच्चे तेल के दाम गिरने से भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम धाड़म हो गए हैं. जैसे ही लोगों को पेट्रोल डीजल के दाम कम होने की जानकारी मिली कि लोग पंपों पर तेल भरवाने के लिए पहुंचने लगे हैं. देश के हर शहरों में पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो गए हैं. तो देर किस बात कि है जल्द ही आप भी पेट्रोल पंपों पर जाकर अपनी गाड़ी की टंकी फुल करवा लें.
दरअसल, डब्ल्युटीआई क्रूड (WTI Crude) 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे 69.68 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है, जबकि ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) 73 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है. भारत अपने खपत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है.
कच्चे तेल के दाम गिरने की ये है वजह
इन दिनों रूस-यूक्रेन और इजरायल फीलिस्तीन के बीच जारी युद्ध को लेकर कच्चे तेल की मांग में कमी आई है. युद्ध के बीच कच्चे तेल के दाम धड़ाम हुए हैं. खासतौर से चीन के आर्थिक सुस्ती के चलते डिमांड घटने की आशंका है. वहीं लीबिया से कच्चे तेल के एक्सपोर्ट शुरू होने की उम्मीदों के चलते भी कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गई. लीबिया की विरोधी सरकारों के बीच जारी विवाद के बाद कई ऑयल फील्ड को बंद किया गया था और साथ ही तेल के कुएं भी क्लोज कर दिए गए थे. संभावना जताई जा रही है कि लीबिया सेंट्रल बैंक के गवर्नर की नियुक्ति के बाद ही कच्चे तेल की डिमांड बढ़ेगी. वहीं, ओपेक देश कच्चे तेल के प्रोडक्शन में कटौती के फैसले पर फिर से विचार कर सकती है. इन सभी कारणों के चलते कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ने के संभावना के चलते अंतरराष्ट्री मार्केट में कच्चे तेल के दाम घटे हैं.
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सरकारी तेल कंपनियों की बढ़ेगी तिजोरी
कच्चे तेल के दामों में आई बड़ी गिरावट से सरकारी तेल कंपनियों को जबरदस्त मुनाफा होने का अनुमान है. क्योंकि उन्हें सस्ते में क्रूड ऑयल मिल रहा है. ऐसे में अब उनके ऊपर निर्भर करता है कि वह उपभोक्ताओं को इसका फायदा देगी या नहीं. क्योंकि तेल की कीमतें ऑयल कंपनी ही तय करती है. साथ ही पेट्रोल डीजल जीएसटी से बाहर है. ऐसे में पूरा अधिकार ऑयल कंपनियों के ऊपर है. कंपनियों को तय करना है कि उसे उपभोक्ताओं को फायदा देना है या नहीं ये बड़ा सवाल है.
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पिछले महीने पेट्रोल-डीजल पर कंपनियों को हुआ खूब मुनाफा
पिछले महीने अगस्त 2024 में सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल बेचने पर 9.3 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 7.6 रुपये प्रति लीटर का फायदा हो रहा था जिसके अब बढ़कर 14 रुपये और 13 रुपये प्रति लीटर तक बढ़कर होने के आसार हैं. ऐसे में मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर के बीच सरकारी तेल कंपनियों को जोरदार मुनाफा होने की संभावना है.
तो महंगाई से मिलेगी राहत
एक और बात अगर कच्चे तेल के दामों में ये गिरावट लंबे समय तक जारी रही तो केंद्र सरकार पर पेट्रोल डीजल की कीमतें कम करने का दबाव बढ़ सकता है. खासतौर से डीजल के दामों में कमी का दबाव बढ़ सकता है, जिससे माल ढुलाई सस्ती हो सकती है. इसका सीधा असर महंगाई में कमी आएगी.क्योंकि डीजल वाहनों से ही ज्यादातर खाने-पीने की वस्तुओं की सप्लाई होती है. अगर डीजल के दाम कम हुए तो खाने पीने की वस्तुएं सस्ती होंगी और महंगाई से राहत मिलेगी. उच्च महंगाई दर ब्याज दरों के कटौती के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है. पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती से महंगाई से निपटने में मदद मिल सकती है. साथ ही ब्याज दरों में कटौती का भी रास्ता साफ होगा.