Edible Oil Price Hike: महंगाई की बड़ी मार के लिए तैयार हो जाएं. जी हां एक बार फिर खाने के तेल यानी Edible Oil के दामों में मोटा इजाफा होने वाला है. सरकार की ओर से जल्द ही इन दामों को बढ़ाने का बड़ा फैसला लिया जा रहा है. दरअसल सरकार के इस फैसले के पीछे व्यापारियों का दबाव है. मध्य प्रदेश के व्यापारियों के दबाव का सीधा असर केंद्र सरकार के दाम बढ़ाने को लेकर लिया जा सकता है. यानी त्योहार से पहले आम जनता पर महंगाई की बड़ी मार पड़ने के आसार हैं. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
क्यों बढ़ने वाली तेल की कीमतें
तेल कीमतों के बढ़ने के पीछे बड़ी वजह व्यापारियों की मांग है. दरअसल एमपी के कारोबारी केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बढ़ा रहे हैं कि खाद्य तेलों के आयात पर लगने वाले शुक्ल की वजह से उन्हें तेल की कीमतें बढ़ाना पड़ेंगी. ऐसे में त्योहार आने से पहले ही केंद्र सरकार के अहम फैसला ले सकती है.
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पहले ही बड़ा फैसला ले चुकी है सरकार
इससे पहले भी सरकार एक बड़ा फैसला ले चुकी है. दरअसल सरकार ने पहले व्यापारियों के दबाव की वजह से ही काबुली चने पर स्टॉक लिमिट हटाने का भी निर्णय लिया था. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने भी खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का सुझाव दिया है जिसको लेकर चर्चाएं हैं कि जल्द ही इनमें भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि स्वदेशी तिलहन उत्पादकों के हितों की रक्षा के चलते कीमतों में इजाफा किया जा सकता है.
SOPA चीफ ने की कृषि मंत्री से मुलाकात
बता दें कि हाल में सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन डेविश जैन ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से राजधानी में मुलाकात की थी. इसी दौरान उन्होंने आयात शुल्क के चलते खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर जोर दिया था. एसोसिएशन ने इसके पीछे एक और तर्क दिया था कि इससे किसानों को भी उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सकेगा. इसके साथ ही देसी देल उद्योग से भी दबाव कम होगा.
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जानकारी के लिए आपको यह भी बता दें कि मौजूदा समय में क्रूड पाम तेल, सोयाबीन तेल के साथ-साथ क्रूड सूरजमुखी तेल पर 5.5 फीसदी आयात शुल्क लागू है. हालांकि इसमें सेस भी शामिल है. इसी तरह रिफाइंड खाद्य तेल पर 13.75 फीसदी का सीमा शुल्क प्रभावी है.