EPFO News Update: भारत सरकार नौकरी पेशा लोगों के लिए भी समय-समय पर कई बड़े कदम उठाती है रहती है. इस कदम के तहत जॉब वाले कर्मचारियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जाती है. ऐसा एक बड़ा कदम एम्पलाइज प्रोविडेंड फंड आर्गेनाइजेशन के रूप में उठाया गया है. दरअसल ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारी पीएफ के जरिए न सिर्फ अपना धन संचय करते हैं बल्कि भविष्य भी सुरक्षित करते हैं. ऐसे ही ईपीएफओ से जुड़े करोड़ों कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल ईपीएफओ के तहत आपकी जॉब खत्म होने यानी आपके रिटायर्ड होने के बाद भी आपको अच्छी खासी पेंशन मिलती है. आइए जानते हैं कि जॉब खत्म होने के बाद भी आप ईपीएफओ के जरिए किसी तरह मालामाल बन सकते हैं.
EPFO में कितनी तरह की होती है पेंशन
पीएफ खाते में कर्मचारी के साथ-साथ नियोक्ता यानी जहां वह काम करता है वो कंपनी भी अपना सेम राशि के रूप में कंट्रीब्यूशन करती है. दरअसल ईपीएफओ सरकारी संस्था है इसके भारत सरकार की ओर से ही संचालित किया जाता है. खास बात यह है कि ईपीएफओ के तहत कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद भी पेंशन मिलती है और यह पेंशन एक दो नहीं बल्कि 6 तरह की होती है.
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वेतन का 12 फीसदी होता है खाते में जमा
ऑर्गेनाइज्ड यानी संगठित क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों का ईपीएफओ के तहत खाता होता है. इसी खाते में उन्हें अपने वेतन का 12 फीसदी हर माह जमा करना होता है. इसमें कंपनी की ओर से भी सहयोग दिया जाता है. यह जमा राशि दो हिस्सों में होती है. 8.33 प्रतिशत हिस्सा खुद कर्मचारी के वेतन से कटता है जो पेंशन फंड के रूप में जमा होता है. वहीं 3.67 फीसदी हिस्सा कर्मचारी के प्रोविडेंट फंड यानी पीएफ में क्रेडिट हो जाता है.
क्या है पेंशन मिलने की शर्त
किसी भी संगठित क्षेत्र का वह कर्मचारी जिसका ईपीएफ में खाता है और उसकी उम्र 58 वर्ष पूरी हो गई हो या फिर उसे किसी कंपनी में काम करते हुए 10 वर्ष पूरे हो गए हों, तभी वह पेंशन के लिए पात्र होता है. कर्मचारियों को अलग-अलग तरह की पेंशन व्यवस्था की गई है. कुल 6 तरह की पेंशन दी गई हैं. जो इस प्रकार है.
1. अर्ली पेंशनः इस पेंशन स्कीम के तहत कोई भी एम्प्लॉय जिसे कंपनी में काम करते हुए 10 वर्ष या उससे अधिक वक्त चुका है, लेकिन वह 58 वर्ष की उम्र से पहले ही रिटायरमेंट ले लेता है तो वह इस स्कीम के तहत पेंशन का पात्र होता है. इन एम्प्लॉइज को अर्ली पेंशन के तहत उसके वेतन के मुताबिक पेंशन दी जाती है.
2. सुपरएन्युएशनः इसके अलावा जो सबसे ज्यादा प्रचलित पेंशन योजना है वह है सुपरएन्युएशन पेंशन. क्योंकि इस पेंशन में सभी नियमों को पूरा करने के साथ ही कोई कर्मचारी 10 वर्ष की नौकरी पूरी कर ले और इसके साथही 58 वर्ष की उम्र भी पूरी कर ले तो वह पेंशन का पात्र होता है.
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3. हैंडिकैप्ड पेंशनः इस पेंशन स्कीम के तहत जब कोई कर्मचारी किसी संस्था में करने के दौरान किसी वजह से विकलांग यानी हैंडिकैप्ड हो जाता है तो उसके लिए भी अलग पेंशन स्कीम है. इसमें ईपीएफओ की ओर से विकलांगता पेंशन के तहत उस कर्मचारी की आर्थिक रूप से मदद की जाती है.
4. विडो-चिल्ड्रन पेंशनः EPFO की ओर से किसी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मौत होने के बाद उसकी विधवा पत्नी और बच्चे को लेकर भी पेंशन स्कीम है. इस पेंशन के तहत कर्मचारी की पत्नी और बच्चे को मासिक पेंशन का प्रायोजन है. इसमें विधवा मां के अलावा दो बच्चों के 25 वर्ष की उम्र तक पेंशन दी जाती है.
5. नॉमिनी पेंशनः कई बार कर्मचारी की शादी नहीं हुई होती है और उसकी मौत हो जाती है. ऐसे में उसके नॉमिनी को भी पेंशन दी जाती है. अगर उसने अपने माता-पिता का नाम अपने नॉमिनी के तौर पर लिखा है तो उन्हें प्रति माह पेंशन दी जाती है. इसमें माता-पिता दोनों ही आधी-आधी पेंशन दी जाती है.
6. अनाथ पेंशन स्कीमः इस स्कीम के तहत अगर कर्मचारी की नौकीर के दौरान मौत हो जाती है और उसके बाद उसके पार्टनर का भी निधन हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उनके बच्चों जो अनाथ हो जाते हैं उनकी मदद के लिए कर्मचारी निधि से उन्हें पेंशन दी जाती है.