Maharashtra Election: देश में एक तरफ दो अहम राज्यों के विधानसभा चुनाव मुहाने पर खड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ एक दिग्गज नेता के निधन ने हर किसी को हिला कर रख दिया है. दरअसल मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. उनके आचानक हुए निधन से देशभर में शोक की लहर है. खास बात यह है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सिंह के निधन को दुख व्यक्त किया है. मेवाड़ राजवंश से जुड़े महेंद्र सिंह को राजनीति में किसी पितामह के रूप में जाना जाता था. उन्होंने राजस्थान की राजनीति में अपना अहम योगदान दिया. सोमवार को उनका अंतिम संस्कार देहली गेट के करीब महासतियां में किया गया.
पूरे मेवाड़ में शोक की लहर
महेंद्र सिंह के हुए अचानक निधन ने पूरे मेवाड़ पर जैसे दुखों का पहाड़ चू गया है. हर घर में शोक की लहर है. बता दें कि महेंद्र सिंह मेवाड़ ने 84 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली है. बताया जा रहा है कि बीते कुछ दिनों से वह बीमार चल रहे थे. महेंद्र सिंह के परिवार में सभी राजनीति से जुड़े हैं. बेटा विश्वराज सिंह मेवाड़ जहां नाथद्वारा से भारतीय जनता पार्टी विधायक है वहीं उनकी बहू महिमा कुमारी भी राजसमंद से सांसद हैं.
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बीजेपी में हड़कंप
राजस्थान की राजनीति में एक कद्दावर नेता के निधन से न सिर्फ राज्य को बल्कि भारतीय जनता पार्टी को भी बड़ा नुकसान हुआ है. मेवाड़ियों में महेंद्र सिंह की खास पैठ थी. उन्होंने 1989 में ही बीजेपी का दामन थामा और बतौर सांसद अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.
पीएम मोदी ने जताया दुख
महेंद्र सिंह के निधन पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दु:ख व्यक्त किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए अपनी भावनाओं को साझा भी किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि, समाज और राजनीति को अमूल्य योगदान देने वाले मेवाड़ राजघराने के महेंद्र सिंह मेवाड़ का जाना अपूर्णिय क्षति है. ये दुखद तो है और इस कठिन समय में भगवान उनके परिवार को दुख सहन करने की शक्ति दे.
कौन थे महेंद्र सिंह मेवाड
महेंद्र सिंह मेवाड़ का जन्म 24 फरवरी 1941 यानी आजादी से पहले हुआ था. उन्होंने पिता के देहांत के बाद मेवाड़ राजघराने का प्रतिनिधत्व भी किया. अजमेर में ही अपनी पढ़ाई पूरी की और वहीं से राजनीति में भी कदम रख दिया. इसके बाद उन्होंने लगातार अलग-अलग अहम क्लबों में बतौर प्रेसिडेंट अपनी सेवा दी. फिर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के संरक्षक के तौर पर भी काम किया.
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